May 13, 2024

दुनिया की सबसे पॉश जेल : जहां खूंखार कैदियों को मिलती है 7 स्टार होटल जैसी सुविधा….हर कैदी पर सालाना खर्च होते हैं 98 करोड़ रुपये

 क्यूबा। दुनिया में एक जेल ऐसी भी है, जहां एक-एक कैदी सेवन स्टार होटल जैसी सुविधा में रहता है।  जी हां, क्यूबा के ग्वांतानमो बे नाम की जेल दुनिया की सबसे पॉश जेल मानी जाती है. यहां एक कैदी का सालाना खर्च होता है 13 मिलियन डॉलर यानी लगभग 98 करोड़ रुपए. साथ ही इनकी सुरक्षा के लिए हरेक कैदी पर 45 अमेरिकी सैनिक तैनात रहते हैं. जानिए, क्या है इस जेल और किसलिए इतनी महत्वपूर्ण है। 


दूसरे विश्व युद्ध के बाद एक जर्मन कैदी रूडोल्फ हैस को जेल में रखने पर हर साल जो खर्च होता है, वो आज की कीमत से 1.5 मिलियन डॉलर से ज्यादा है. इसी तरह से अमेरिका में कुछ बेहद खूंखार कैदियों के रखरखाव पर कोलेराडो में 78,000 डॉलर खर्च करने का प्रावधान बना. लेकिन ये सारे खर्च क्यूबा के ग्वांतानमो बे जेल के आगे कुछ नहीं. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक यहां दुनिया के सबसे खतरनाक और मास्टरमाइंड अपराधी कैद हैं. इन्हें संभालने से लेकर इन्हें जिंदा रखने के लिए सारी सुविधाओं को मिलाकर 540 मिलियन डॉलर से भी ज्यादा खर्च हो चुका है.


ग्वांतानमो खाड़ी के तट पर स्थित इस जेल में दुनियाभर में आतंकी फैलाने में एक्टिव रहे कुल 40 कैदी है. इनकी सुरक्षा के लिए 1800 सैनिक तैनात हैं. यानी एक कैदी की सुरक्षा 45 सैनिक मिलकर करते हैं. इसके अलावा जेल के दूसरे कामों और खाने-पीने की सुविधा के लिए अलग से स्टाफ है. जेल तीन इमारतों में बंटी हुई है. इनमें दो खुफिया हेडक्वार्टर हैं. साथ ही कम से कम तीन क्लिनिक हैं. इमारत इतने सख्त पहरे में रहता है कि यहां से बाहर की बातें और यहां तक कि स्ट्रक्टर भी पूरी तरह से सामने नहीं आ सका है.


जेल परिसर के भीतर ही कोर्ट और पेरोल बोर्ड हीयरिंग रूम हैं. साथ ही दो कंपाउंड अलग से बने हुए हैं, जहां हर कैदी अपने वकील से अकेले में मिल सकता है. इस जेल के स्टाफ और कैदियों को होटल जैसी सुविधाएं मिलती हैं. कैदियों के लिए इस जेल में चर्च, जिम, प्ले स्टेशन और सिनेमा हॉल की व्यवस्था की गई है. कैदियों की मानसिक सेहत के लिए यहां अलग से एक्सपर्ट हैं. अगर कोई कैदी अपने लिए कुत्ते या किसी दूसरे जानवर की मांग करता है, तो ये भी उसे मुहैया कराया जा सकता है.


क्यूबा की ये जेल पहले अमेरिकी नेवी का बेस हुआ करता था. बाद में इसे डिटेंशन सेंटर में बदल दिया गया. खुद अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने साल 2002 में यहां एक कंपाउंड बनवाया, जहां आतंकियों को रखा जाने लगा. बाद में बराक ओबामा ने खर्चीला होने के कारण इसे बंद करने की बात की लेकिन वे भी ये नहीं कर सके.


इसके बाद साल 2018 में डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने इस जेल को बनाए रखने के लिए एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन कर दिया. इसकी वजह ये बताई जाती है कि यहां रहने वाले सारे ही कैदी बड़े आतंकी हमलों के जिम्मेदार रहे हैं. ऐसे में उन्हें किसी और जेल में रखना या दूसरे कैदियों से उनकी मुलाकात काफी खतरनाक हो सकती है. यही वजह है कि इतना खर्चीला होने के बाद भी इस जेल को बनाए रखा गया है.


इसके बाद भी जेल में कैदियों की सुरक्षा पर खर्च को लेकर लगातार सवाल होते रहे हैं. एक नेवी लॉयर कैप्टन ब्रायन एल माइजर ने इस जेल का मजाक उड़ाते हुए कहा था कि ये अमेरिका का बुटीक प्रिजन है, जो खासतौर पर बड़ूी उम्र के जिहादियों के लिए बना हुआ है. जरूरत से ज्यादा खर्चीला होने के कारण इसके बंद किए जाने की मांग भी उठती रही है. लोगों का कहना है कि कैदियों को किसी और जेल में भेज दिया जाना चाहिए.


वैसे दुनिया का सबसे महंगा डिटेंशन सेंटर होने के बाद भी यहां कैदियों के साथ टॉर्चर होता रहता है. ये और बात है कि इसकी खबर बाहरी दुनिया को नहीं लग पाती है. न्यूयॉर्क टाइम्स ने इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेड क्रॉस (ICRC) के हवाले ये जानकारी निकाली. रेड क्रॉस ने अपने एक इंस्पेक्शन के दौरान पाया कि कैदियों का भयंकर यंत्रणा दी जाती है. लेकिन ये मारपीट नहीं, बल्कि अलग-अलग तरीकों से होती है.


किसी कैदी को आइसोलेशन में रख दिया जाता है और कई-कई महीने तक वो अंधेरी कोठरी में बंद रहता है, जहां कोई इंसानी आवाज न आए. किसी कैदी को इतनी तेज आवाज में रखा जाता है कि वो मानसिक तौर पर परेशान हो जाए. किसी को इस खास तरीके से बैठने या खड़ा रहने की सजा मिलती है कि उनके सारे शरीर का वजन एक या दो मांसपेशियों पर पड़े. इससे भयंकर दर्द होता है. 

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