May 18, 2024

कोरोना वायरस : अब भारत के बाघों में संक्रमण का खतरा, हाई अलर्ट पर सभी टाइगर रिजर्व

नई दिल्ली। भारत में मध्‍य प्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व (Pench Tiger Reserve) में एक बाघ कुछ दिन से अजीब व्‍यवहार कर रहा था।  वाइल्‍ड लाइफ मैनजर्स ने देखा कि अप्रैल की शुरुआत में 10 साल का बाघ (Tiger) टी-21 बार-बार नजदीक के तालाब पर जा रहा था।  उन्‍होंने अनुमान लगाया कि वह तेज बुखार (High Fever) के कारण तालाब के पानी में बैठने जा रहा है।  इसके बाद रिजर्व के कर्मचारियों ने उसे एंटीबॉयोटिक्‍स (Antibiotics) दीं।  इसके बाद भी उसकी हालत में किसी तरह का सुधार नहीं हुआ। 

इसके बाद 4 अप्रैल को तालाब के नजदीक ही उसकी मौत हो गई।  शुरुआत में अनुमान लगाया गया कि उसकी मौत श्‍वसन तंत्र की अनजान बीमारी (Respiratory illness) के कारण हुई है।  उसके फेफड़ों में इन्फेक्शन भी था।  बाघों में फेंफड़ों में संक्रमण सामान्‍य बात मानी जाती है।  इसलिए उन्‍होंने उसको बहुत ज्‍यादा तव्‍वजो नहीं दी।  बता दें कि देश में 2,967 जंगली बाघ हैं, जो दुनिया के कुल वाइल्‍ड टाइगर्स के एक-तिहाई हैं। 


पेंच टाइगर रिजर्व में बाघ टी-21 की संदिग्‍ध हालत में मौत के दो दिन बाद 6 अप्रैल को न्यूयॉर्क के ब्रॉन्क्‍स जू में एक बाघिन के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने की खबर आई।  इसके बाद अब पेंच टाइगर रिजर्व में हड़कंप मच गया।  पेंच अभयारण्‍य के अधिकारियों ने देशभर में मौजूद सभी टाइगर रिजर्व को हाई अलर्ट जारी कर दिया।  ब्रॉन्‍क्‍स से आई जानकारी ने पेंच रिजर्व के अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी। 


टी-21 के इलाज, पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार करने वाली टीम में शामिल पशु चिकित्सक समेत 14 वन्यकर्मियों को क्‍वारंटीन कर दिया गया।  बाघ की मौत के बाद एहतियातन वनकर्मियों पर विशेष निगरानी रखने के साथ ही उनके स्वास्थ्य का परीक्षण भी कराया गया।  साथ ही नौरादेही अभयारण्य में वन्य प्राणियों की निगरानी बढ़ा दी गई।  रिजर्व में मौजूद बाघों की विशेष निगरानी की जा रही है।  साथ ही देश के दूसरे रिजर्व में वन्य जीवों की निगरानी बढ़ा दी गई है।

 
नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) के डॉ. अनूप कुमार नायक का कहना है कि कोरोना वायरस वन्‍य जीवों के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकता है।  हमें नहीं पता कि भविष्‍य में क्‍या होगा, लेकिन हम हर तरह के एहतियाती मानक अपना रहे हैं ताकि बाघों को हर हाल में बचाया जा सके।  न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एनटीसीए और पर्यावरण व वन मंत्रालय ने देश के सभी राज्‍यों के नेशनल पार्क-रिजर्व के वाइल्‍ड लाइफ वार्डन को कुछ सुझाव दिए हैं। 

इन वार्डंस से कहा गया है कि लोगों के घूमने आने पर पाबंदी लगा दी जाए।  साथ ही बाघों की निगरानी बढाकर ये देखा जाए कि उन्‍हें श्‍वसन तंत्र से संबंधित कोई समस्‍या जैसे नाक बहना, खांसी या सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण तो नहीं हैं।  साथ ही बीमार बाघों की देखभाल करने वाले वन्‍य कर्मियों की भी पहले से कोरोना जांच करा ली जाए ताकि वन्‍य जीव संक्रमित होने से बचे रहें।  बता दें कि पेंच रिजर्व में बाघ की मौत के बाद कोरोना टेस्‍ट नहीं किया गया था।  अब पोस्‍टमार्टम करने वाले पशु चिकित्‍सकों को उनका सैंपल नेशनल लैबोरेटरी भेजना होगा। 


अप्रैल की शुरुआत में अमेरिका (US) के न्यूयॉर्क में ब्रॉन्क्स जू की बाघिन नाडिया के कोरोना संक्रमित होने का मामला सामने आया था। उसमें 27 मार्च से लक्षण दिखने शुरू हुए थे।  जू के पशु रोग विशेषज्ञ पॉल कैले के मुताबिक, संभवत: यह किसी बाघ के संक्रमित होने का दुनिया का पहला मामला था।  बाघिन की कोरोना टेस्‍ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी।  बताया गया कि बाघिन को जू के ही एक कर्मचारी से संक्रमण हुआ था। 

वाइल्ड कंजर्वेशन सोसायटी के मुताबिक, सूखी खांसी के लक्षण दिखने के बाद 4 साल की नाडिया की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, उसके अलावा 3 बाघ और 3 शेर में भी लक्षण मिले थे।  कैले ने बताया कि अब तक मिली जानकारी दूसरे चिड़ियाघरों और रिसर्च इंस्टीट्यूट के साथ साझा की गई है।  बता दें कि न्यूयॉर्क में कोरोनावायरस के मामले बढ़ने पर मार्च में ही जू को बंद कर दिया गया था। 

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