CGPSC परीक्षा घोटाला : सुप्रीम कोर्ट से टामन सिंह सोनवानी के बेटे-भतीजे समेत 4 आरोपियों को जमानत
रायपुर/नईदिल्ली। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) परीक्षा घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चार आरोपियों को जमानत दे दी है। राहत पाने वालों में CGPSC के पूर्व चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी के बेटे नितेश सोनवानी, भतीजे साहिल सोनवानी, कारोबारी श्रवण गोयल के बेटे शशांक गोयल और बहू भूमिका कटियार शामिल हैं। ये सभी पिछले कई महीनों से रायपुर जेल में न्यायिक हिरासत में थे। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए इन्हें जमानत मंजूर की है।
CBI की जांच में खुलासा हुआ कि CGPSC के तत्कालीन चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी ने परीक्षा का पेपर अपने घर में ही लीक किया था। वहां पर उसने अपने बेटे नितेश, भतीजे साहिल, पत्नी निशा कोशले और दीपा आदिल को प्रश्नपत्र दिए। इसके बाद ये सभी परीक्षा में उच्च पदों पर चयनित हुए।
CBI ने अपनी चार्जशीट में टामन को घोटाले का “मास्टरमाइंड” बताया है। एजेंसी के मुताबिक, इस रैकेट में टामन के साथ ही परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक, उप नियंत्रक ललित गणवीर, सचिव जीवन किशोर ध्रुव और कारोबारी श्रवण गोयल की भूमिका भी सामने आई है।
2000 पन्नों की चार्जशीट
CBI ने 30 सितंबर को इस मामले में 2000 पन्नों का पहला पूरक चालान पेश किया था, जिसमें परीक्षा लीक से लेकर चयन तक के पूरे नेटवर्क का ब्योरा दिया गया है। अब तक 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें PSC के पूर्व अधिकारी, उनके परिजन और कारोबारी परिवार शामिल हैं। एजेंसी के मुताबिक, 2021 की परीक्षा में 171 पदों के लिए हुई भर्ती में पारदर्शिता की खुली धज्जियां उड़ाई गईं।

आरती वासनिक ने प्रिंटिंग कंपनी से कॉपी कराया पेपर
CBI की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रश्नपत्र छापने की जिम्मेदारी कोलकाता की एक कंपनी “एकेडी प्रिंटर्स प्राइवेट लिमिटेड” को दी गई थी। प्रिंटिंग से पहले, परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक ने कंपनी के मालिक अरुण द्विवेदी से प्रश्नपत्र “रिव्यू” के नाम पर मंगवाए और उन्हें घर पर कॉपी कर लिया। बाद में ये प्रश्नपत्र टामन सिंह और ललित गणवीर के माध्यम से अन्य उम्मीदवारों तक पहुंचाए गए। इसके बाद कई आरोपियों का चयन डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी, श्रम अधिकारी और आबकारी अधिकारी जैसे अहम पदों पर हुआ।
2020 से 2022 के बीच हुआ था भ्रष्टाचार का खेल
यह पूरा मामला 2020 से 2022 के बीच हुई PSC भर्ती प्रक्रियाओं से जुड़ा है। आरोप है कि इस दौरान योग्य उम्मीदवारों को दरकिनार कर प्रभावशाली परिवारों के सदस्यों को चयनित कराया गया। घोटाले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने जांच CBI को सौंपी थी, जिसने छापेमारी के दौरान कई आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य बरामद किए हैं।
PSC में गड़बड़ियों का पुराना इतिहास
यह पहला मौका नहीं है जब CGPSC विवादों में रहा हो। 2003, 2005, 2008, 2017 और 2019 में भी PSC की परीक्षाओं में सवालों की गड़बड़ी और चयन प्रक्रिया पर सवाल उठे थे। अब 2021 की भर्ती में सामने आया यह घोटाला PSC की विश्वसनीयता पर एक और बड़ा दाग बन गया है।
