May 16, 2024

कच्चातिवु द्वीप तो बहाना, मछली है भारत और श्रीलंका के विवाद की असली वजह…

नईदिल्ली। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भारत और श्रीलंका के बीच पड़ने वाले कच्चातिवु द्वीप को लेकर एक बार फिर राजनीति तेज हो गई है. मामला तब गरम हो गया जब श्रीलंकाई नौसेना ने कच्चातिवु द्वीप पर मछली पकड़ने गए 40 से अधिक भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार कर लिया. इस गिरफ्तारी के विरोध में तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने RTI के जरिए कच्चातिवु द्वीप इस तरह की कार्रवाई को लेकर सवाल पूछे थे. RTI के जवाब में पता चला कि 1974 में भारत की इंदिरा गांधी सरकार और श्रीलंका की राष्ट्रपति श्रीमावो भंडारनायके में एक समझौता हुआ था, जिसके तहत भारत ने कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया था.

इस बात की जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, कांग्रेस ने जानबूझकर कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को दिया था. इसे लेकर जहां लोगों में गुस्सा है, वहीं ये भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर भारतीय मछुआरे जान जोखिम में डालकर श्रीलंका में मछली पकड़ने क्यों जाते हैं और वो कौन सी वो मछली है, जिसके कारण दो देशों की दोस्ती में दरार पड़ती दिखाई पड़ रही है.

खास मछली के लिए जान जोखिम में डाल रहे मछुआरे
भारतीय मछुआरों का पारंपरिक काम मछली पकड़ना है और उन्हें बेचकर पैसे कमाना है. ऐसा नहीं है कि भारतीय क्षेत्र में मछलियां नहीं हैं, लेकिन भारतीय मछुआरों को हमेशा ही एक खास मछली की तलाश रहती है. ये मछली है ‘झींगा’. सीफूड में झींगा मछली को सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है. यही कारण है कि इसकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है. मांग ज्यादा होने के कारण मछुआरे इसे अच्छे दाम पर बेच लेते हैं. भारतीय क्षेत्र में इतनी झींगा मछली नहीं है जिससे डिमांड एंड सप्लाई की चेन को पूरा किया सके. ऐसे में भारतीय मछुआरे जान जोखिम में डालकर रात के अंधेरे में समुद्री बॉर्डर (आईएमबीएल) को पार करते हैं. बता दें कि कच्चातिवु द्वीप आईएमबीएल की दूसरी ओर पड़ता है. यहां से उन्हें काफी मात्रा में एक साथ मछली मिल जाती है, जिसे वो कंटेनर में भरकर भारत लाते हैं. इसी जोखिम में बीच कई बार श्रीलंकाई नौसेना उन्हें गिरफ्तार कर लेती है.

दोनों देशों के बीच विवाद क्या है?
भारत और श्रीलंका के बीच 1974 में एक समझौता हुआ था. इस समझौते के तहत ही दोनों देशों ने समुद्री सीमा भी तय कर ली थी. हालांकि इसके बावजूद दोनों देशों के बीच हमेशा से कन्फ्यूजन बना रहा. समझौते के तहत आर्टिकल 5 में कच्चातिवु द्वीप पर भारतीय मछुआरे और तीर्थयात्री बिना किसी ट्रैवल डॉक्यूमेंट्स के आराम से आ जा सकेंगे. इसके साथ ही आर्टिकल 6 में बताया गया था कि दोनों देशों के जहाज इस इलाके में बिना किसी रोक टोक के आ जा सकेंगे. यही नहीं समझौते में साफ कहा गया था भारतीय मछुआरे मछली पकड़ने के लिए अपने फिशिंग ग्राउंड तक पहुंच जारी रखेंगे. इसी समझौते के तहत भारतीय मछुआरे लंबे समय तक कच्चातिवु द्वीप और उसके आसपास मछलियां पकड़ते रहे.

मछलियां बनीं दो देशों के बीच की दरार
इस समझौते के तहत दो साल के बाद ही भारत को वाडगे बैंक पर नियंत्रण मिल गया. वाडगे बैंक कन्याकुमारी से लगभग 50 किलोमीटर दूर दक्षिण में स्थित 10 हजार वर्ग किलोमीटर में फैला इलाका है. भारत और श्रीलंका दोनों ही देशों के मछुआरे इस क्षेत्र में मछली पकड़ने जाया करते थे. दोनों देशों के बीच मछली को लेकर विवाद तब बढ़ने लगा जब भारत के समुद्री हिस्से में धीरे-धीरे मछलियां लगभग खत्म सी हो गई हैं. भारतीय मछुआरे द्वीप तक पहुंचने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा को पार करने का जोखिम उठा रहे हैं. ऐसा करते हुए कई बार श्रीलंकाई नौसेना भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार कर ले रहे हैं. यही वजह है कि दोनों देशों के बीच विवाद हर दिन बढ़ रहा है.

बॉटम ट्रॉलिंग ने बढ़ाई मुश्किल
मछली पकड़ने की एक प्रथा है, जिसे बॉटम ट्रॉलिंग कहा जाता है. भारतीय मछुआरे आमतौर पर इसी प्रथा से मछली पकड़ते हैं. इसमें समुद्री तट पर जाल बिछाया जाता है. यही प्रथा अब दोनों देशों के बीच विवाद की जड़ बन चुकी है. श्रीलंकाई मछुआरों का कहना है कि भारतीय मछुआरों की ओर से बिछाए जाने वाले जाल में झींगा तो आसानी से पकड़ में आ जाती है लेकिन इसके साथ ही मूंगा और शैवाल जैसे समुद्री संसाधन भी जाल में फंसकर चले जाते हैं, जिससे समुद्री संसाधनों में कमी हो रही है.

पिछले साल 240 मछुआरे पकड़े गए थे
श्रीलंकाई नौसेना की ओर से पिछले कई सालों से भारतीय मछुआरों को पकड़ने की खबरें आती रही हैं. भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल ही श्रीलंकाई समुद्री इलाके से 240 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया गया है जबकि 35 ट्रॉलर जब्त किए गए हैं. साल 2014 में 800 से ज्यादा भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया गया था. भले ही साल 2014 के बाद भारतीय मछुआरों की गिरफ्तारी कम हुई हो लेकिन मछलियों को लेकर विवाद अभी भी खत्म नहीं हुआ है.

झींगा मछली के एक्सपोर्ट मामले में भारत है नंबर-1
झींगा मछली के निर्यात के मामले में भारत दुनिया का नंबर वन निर्यातक है. भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 में झींगा मछली का कुल निर्यात 7,11,099 मीट्रिक टन दर्ज किया गया था. झींगा मछली का आयात करने में अमेरिका सबसे ऊपर है. अमेरिका ने पिछले वित्त वर्ष में 2,75,662 मीट्रिक टन झींगा मछली भारत से आयात की है. संयुक्त राज्य अमेरिका, झींगा मछली का सबसे बड़ा बाजार है. इसके बाद चीन (1,45,743 मीट्रिक टन), यूरोपीय संघ (95,377 मीट्रिक टन), दक्षिण पूर्व एशिया (65,466 मीट्रिक टन), जापान (40,975 मीट्रिक टन), और मध्य पूर्व (31,647 मीट्रिक टन) का स्थान है.

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