May 6, 2024

पराली से बनेगा खाद : भूपेश बघेल के फार्मूले पर काम करेगी केजरीवाल सरकार

रायपुर: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जो पराली (पैरा) जलाने का फार्मूला साल 2019 में देश के सामने रखा था, अब उसी फार्मूले पर दिल्ली की केजरीवाल सरकार काम करने जा रही है. देश के साथ दिल्ली के किसानों के लिए पराली या पैरा एक बड़ी समस्या बन चुकी है. अबतक किसान इस पैरा को जलाते आ रहे थे. जिसकी वजह से दिल्ली में प्रदूषण बढ़ रहा था. इस समस्या से निजात दिलाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने देश के सामने एक सुझाव रखा था.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 5 नवंबर 2019 को दिल्ली में पराली जलाने से हर साल होने वाली भीषण प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए ‘कृषि को मनरेगा से जोड़ने’ और ‘पराली को जैविक खाद में बदलने’ का सुझाव दिया था. बघेल ने समस्या का उपाय सुझाते हुए कहा था कि सितंबर अक्टूबर महीने में हर साल पंजाब और हरियाणा राज्य को मिला दें तो करीब 35 मिलियन टन पराली या पैरा जलाया जाता है. इसके दो कारण है. पहला किसान की ओर से धान की फसल के तुरंत बाद गेहूं की फसल लेना. दूसरा पैरा को नष्ट करने का जलाने से सस्ता कोई साधन का मौजूद नहीं होना.

सीएम भूपेश बघेल के इस सुझाव पर दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने काम करना शुरू कर दिया है. दिल्ली सरकार ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) की ओर से तैयार किए गए कैप्सूल के जरिए पैराली से खाद बनाने पर जोर दिया है. केजरीवाल सरकार दिल्ली के किसानों को यह सुविधा मुफ्त में उपलब्ध कराएगी. जिससे किसान खेतों में ही पराली की खाद बना सकेंगे. 

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि 5 अक्टूबर से इसकी शुरुआत की जाएगी. सरकार किसानों की सहमति के बाद खेतों में मुफ्त में इस कैप्सूल के घोल का छिड़काव करेगी. जिसपर केवल 20 लाख रुपये का खर्चा आएगा. इतना ही नहीं सीएम केजरीवाल ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को पत्र लिखकर अन्य राज्यों में भी इस तकनीक को लागू करने की अपील की है.

दिल्ली सरकार की ओर से भूपेश बघेल के फार्मूले को अपनाए जाने पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम का कहना है कि छत्तीसगढ़ की सरकार लगातार प्रदेश के विकास के लिए काम कर रही है. मुख्यमंत्री सभी की समस्याओं को सुनते हैं. किसानों के हित को लेकर भी सरकार ने कई बड़े कदम उठाए हैं. 

मुख्य खबरे

error: Content is protected !!