May 14, 2024

9 साल की एला की मौत, डेथ सर्टिफिकेट में पहली बार वजह बना वायु प्रदूषण

नई दिल्ली। वायु प्रदूषण से हर साल लाखों लोग मरते हैं लेकिन पहली बार किसी के डेथ सर्टिफिकेट में वायु प्रदूषण को मौत की वजह लिखा गया है. ब्रिटेन में 9 साल की एला की मौत दमे के अटैक की वजह से हुई. उसके डेथ सर्टिफिकेट में इसकी वजह वायु प्रदूषण लिखा गया. अब इस मामले को लेकर दुनिया भर में चर्चा हो रही है कि कैसे इस खूबसूरत मुस्कान को वायु प्रदूषण ने हमेशा के लिए हमसे छीन लिया है.  


एला किस्सी-डेब्राह (Ella Kissi-Debrah) लंदन के दक्षिण-पूर्वी इलाके लेविशहैम में रहती थी. फरवरी 2013 में एला की मौत एक्यूट रेस्पिरेटरी फेल्योर की वजह से हुई थी. उसे दमे की गंभीर समस्या थी. इसकी वजह थी वायु प्रदूषण. ये बात इनर साउथ लंदन के कोरोनर फिलिप बार्लो ने भी मानी.


फिलिप ने कहा कहा कि एला लगातार नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर (PM) के संपर्क में आने की वजह से मारी गई है. प्रदूषण में कमी न ला पाना ही एला किस्सी-डेब्राह के मौत की वजह बनी है. क्योंकि लेविशहैम में नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन, पर्टिकुलेट मैटर की मात्रा अंतरराष्ट्रीय और देश में बनाए गए तय नियमों से बहुत ज्यादा थी और अब भी है. 


फिलिप ने कहा कि इसकी वजह से एला का जीवन खराब हो गया. ये उसकी मां रोसामुंड किस्सी-डेब्राह को भी पता है. पूर्व टीचर रोसामुंड ने कहा कि मैंने अपने जीवन के कई साल एला को न्याय दिलाने के लिए कोर्ट में लड़ाई लड़ी. अब जाकर फैसला हमारे हक में आया है. कोर्ट ने मान लिया है कि एला की मौत वायु प्रदूषण से हुए अस्थमा के अटैक की वजह से हुई थी. 

रोसामुंड के वकील ने कोर्ट में कहा था कि वायु प्रदूषण सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए आपातकालीन स्थिति है. एक्सपर्ट के जांच के बाद जो रिपोर्ट आई है उसमें ये बात मेडिकली प्रमाणित हो चुकी है कि एला की मौत वायु प्रदूषण से हुए अस्थमा के अटैक की वजह से हुई थी. इसके बाद कोर्ट ने ये ऐतिहासिक फैसला सुनाया.  


इसके बाद कोर्ट ने आदेश दिया कि पुराने डेथ सर्टिफिकेट में मौत की वजह एक्यूट रेस्पिरेटरी फेल्योर को हटाकर वायु प्रदूषण लिखा जाए. क्योंकि एला के घर के आसपास वायु प्रदूषण का स्तर खतरे के निशान से बहुत ज्यादा था. कोर्ट के आदेश के बाद एला के डेथ सर्टिफिकेट में मौत की वजह वायु प्रदूषण लिखा गया है.


गार्जियन अखबार के मुताबिक लंदन के कोर्ट के इस फैसले के बाद अब ये माना जा रहा है कि अब दुनिया भर की सरकारों को वायु प्रदूषण को गंभीरता से लेने का मौका मिलेगा. इसे भी मौत की वजह माना जाएगा और आधिकारिक तौर पर दस्तावेजों में इसका जिक्र किया जाएगा 

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