May 7, 2024

रवि किशन पर अनुभव सिन्हा ने बोला हमला, कहा- भोजपुरी के सीने पर नंगा नाच करके…

मुंबई।  जानेमाने फिल्ममेकर अनुभव सिन्हा (Anubhav Sinha) ने रवि किशन (Ravi Kishan) के बहाने भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री को आड़े हाथों लिया है. अनुभव ने रवि ‌किशन की ओर से संसद में फिल्म इंडस्ट्री में ड्रग्स को लेकर जांच कराने की मांग की बात सुनने के बाद यह सवाल उठाया है. अनुभव ने एक ट्वीट करते हुए लिखा, ‘बड़ा आभारी हूं भाई रवि किशन का कि संसद में बॉलीवुड और नशे पर बात चीत की. थोड़ी बात भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्री की भी करें. पिछले तीस साल से इस भाषा और उस कला के सीने पर नंगा नाच करके एक पूरी पीढ़ी में जो अश्लीलता का ज़हर घोला गया है उस पर भी बात होनी है. ज़िम्मेदार हैं वो.’

हालांकि इस बयान के बाद सोशल मीडिया में ट्विटर पर अनुभव सिन्हा खुद घिर गए हैं. ज्यादातर यूजर्स उन्हें पहले बॉलीवुड को देखने के बारे में कह रहे हैं. लोगों का कहना है कि भोजपुरी सिनेमा जगत अब भी बॉलीवुड की तुलना में बेहतर है. लोगों का कहना है कि भोजपुरी सिनेमा जगत एक खास वर्ग को ही प्रभावित करता है जबकि बॉलीवुड पूरे भारत को. ऐसे में अभी बात बॉलीवुड की करनी चाहिए.

इससे पहले फिल्म उद्योग की कथित आलोचना पर नाराजगी जताते हुए समाजवादी पार्टी की सदस्य जया बच्चन ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि देश में किसी भी संकट के दौरान सहायता में कभी पीछे नहीं रहने वाला यह उद्योग सराहना का हकदार है. उन्होंने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि दुख की बात यह है कि कुछ लोग जिस थाली में खाते हैं, उसी थाली में छेद करते हैं. 


जया ने कहा कि केवल कुछ लोगों की वजह से आज मनोरंजन उद्योग आलोचना का शिकार हो रहा है जो हर दिन करीब पांच लाख लोगों को प्रत्यक्ष और करीब 50 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार देता है. जया ने कहा कि लाकडाउन के दौरान कुछ ऐसे हालात हुए कि मनोरंजन जगत सोशल मीडिया पर बुरी तरह आलोचना का शिकार होने लगा और उसे ‘गटर’ कहा जाने लगा. ‘यह सही नहीं है. ऐसी भाषा पर रोक लगाई जानी चाहिए .’

उन्होंने कहा, ‘देश पर आने वाले किसी भी संकट के दौरान उसकी सहायता करने में यह उद्योग कभी पीछे नहीं रहा. राष्ट्रीय आपदा के दौरान इस उद्योग ने हरसंभव मदद की है. यहां अत्यधिक कर देने वाले लोग रहते हैं. इस उद्योग ने अपना एक नाम और पहचान अपने बूते हासिल किया है. ‘

जया ने कहा कि कल दूसरे सदन में एक सदस्य ने फिल्म उद्योग के खिलाफ बोला, जो पीड़ादायी था. उन्होंने कहा ‘इस उद्योग के खिलाफ आज जिस भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है वह पूरी तरह गलत है. उस पर रोक लगनी चाहिए.’ विभिन्न दलों के सदस्यों ने इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया. 

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