May 3, 2024

धान खरीदी : कवर्धा-धमतरी में किसान सड़क पर उतरे, रास्ता किया जाम… महासमुंद में सोसायटी में जड़ा ताला…

रायपुर। छत्तीसगढ़ में एक दिसंबर से शुरू हुई धान खरीदी के महाअभियान की व्यवस्थाएं दूसरे दिन ही चरमरा गईं। धमतरी के दुगली में धान खरीदी केंद्र खोले जाने की मांग को लेकर जहां किसानों का दो दिन से प्रदर्शन जारी है। वहीं अब कवर्धा में भी बुधवार को किसानों ने मोर्चा खोल दिया। पंजीयन निरस्त होने से भड़के किसानों ने छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश मार्ग पर जाम लगा दिया। उधर, महासमुंद में भी किसानों ने सोसायटी के गेट पर ताला जड़ा है। 

कवर्धा में कुकदूर (पंडरिया) में चाटां सेवा सहकारी समिति ने कई किसानों का पंजीयन निरस्त कर दिया है। इनमें से कई किसानों ने धान नहीं बोई, वहीं कई अव्यवस्था की चपेट में आ गए। इसके बाद किसानों ने कुकदूर-बजाग मार्ग पर चक्काजाम कर दिया है। यह मार्ग छत्तीसगढ़ को मध्य प्रदेश के शहडोल से जोड़ता है। किसान नेता रवि चंद्रवंशी का कहना है कि इस केंद्र में कई किसानों का पंजीयन निरस्त हुआ। वहीं केवल 9 क्विंटल धान खरीदी ही की जा रही है।

कबीरधाम जिले में 90 प्राथमिक कृषि शाख सहकारी समितियों के 94 धान उपार्जन केंद्रों के माध्यम से खरीदी जा रही है। जिले में इस वर्ष 97, 341 किसानों ने अपना पंजीयन कराया है। जो कि पिछली बार की तुलना में 11,868 ज्यादा है। पिछले वर्ष पंजीकृत किसानों की संख्या 85,473 थी। वहीं पिछले वर्षों की तुलना में धान का रकबा में 8349 हेक्टेयर बढ़ोतरी हुई है। इस वर्ष 30 नए प्राथमिक कृषि शाख सहकारी समिति का गठन किया गया है।

धमतरी के दुगली में किसानों ने 30 नवंबर की सुबह हाईस्कूल के पास पंडाल लगाकर प्रदर्शन शुरू किया। शाम तक कोई अफसर नहीं पहुंचा तो देर रात किसान सड़क पर आ गए और स्टेट हाईवे जाम कर दिया। किसानों का कहना है, 20 साल से दुगली में केंद्र खोलने की मांग कर रहे हैं। दुगली सहित 6 ग्राम पंचायतों में 1200 किसान पंजीकृत हैं। उन्हें धान बेचने 20-25 किमी दूर डोंगरडुला जाना पड़ता है। रास्ता खराब है। कलेक्टर को बुलाने की मांग पर किसान अड़े हैं।

महासमुंद के पिथौरा में धान उपार्जन केंद्र विलोपित करने से सरकड़ा के किसान आक्रोशित हो गए हैं। उन्होंने सोसायटी में ताला लगा दिया। किसानों ने SDM को ज्ञापन देकर सरकडा धान उपार्जन केंद्र नयापारा खुर्द यथावत रखे जाने की मांग की थी। 30 नवंबर तक मांग पूरी नहीं करने पर घेराव की चेतावनी भी दी। इसके बाद भी उसे नहीं सुना गया और एक दिसंबर से धान खरीदी शुरू हो गई। इसके बाद किसानों का गुस्सा भड़क गया। 

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