May 11, 2024

अब LPG सिलेंडर जल्दी खत्म हुआ तो डिस्ट्रीब्यूटर पर लगेगा जुर्माना, कहाँ करनी होगी शिकायत..पूरी खबर पढ़िए

नई दिल्ली। एलपीजी सिलेंडर में कम गैस निकलने की शिकायत लगातार होती रहती है लेकिन अभी तक इस मामले में कभी कोई कार्रवाई नहीं की गई। एजेंसी संचालक, डिस्ट्रीब्यूयर या डिलीवरी मैन के खिलाफ कभी कोई कदम नहीं उठाया गया, लेकिन अब स्थितियां बदल रही है। यदि सिलेंडर में कम गैस निकली और इसकी शिकायत उपभोक्ता फोरम या कंपनी को दिए फीडबैक में की गई तो डिस्ट्रीब्यूटर को दंडित किया जाएगा।

उपभोक्ता संरक्षण एक्ट 2019 में साफ कहा गया है कि यदि कोई भी गैस वितरक उपभोक्ताओं के अधिकार पर डाका डालता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। नए कानून के अनुसार यदि आपका एलपीजी सिलेंडर समय से पहले खत्म हो गया और डिस्ट्रीब्यूटर को की गई शिकायत पर कोई कदम नहीं उठाया गया तो आप सीधे उपभोक्ता फोरम में शिकायत कर सकते हैं। एक महीने के अंदर आपकी शिकायत पर कार्रवाई कर ली जाएगी।

नए नियमों के अनुसार यदि उपभोक्ता को कम एलपीजी मिलती है तो यह गंभीर अपराध है। किसी डिस्ट्रीब्यूटर के खिलाफ लगातार शिकायत मिलने पर उसका लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है। 

उपभोक्ता को एलपीजी सिलेंडर की डिलीवरी लेते समय उसका वजन चेक करके लेना चाहिए, लेकिन डिलीवरी मैन अपने साथ वजन तोलने की मशीन साथ में नहीं रखते हैं। यदि किसी उपभोक्ता ने बिना वजन के सिलेंडर लेने से इंकार किया तो ही वे उसे तोल कर देते हैं। इसके चलते रोज हजारों-लाखों उपभोक्ताओं के घर गैस सिलेंडर बिना वजन किए ही पहुंच जाता है, जिसकी वजह से बेईमानी की आशंका बढ़ जाती है।

ऑईल मार्केटिंग कंपनियों ने एलपीजी गैस वितरण व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए एक प्रस्ताव पेट्रोलियम मंत्रालय को सौंपा है। इस प्रस्ताव से डिस्ट्रीब्यूटरों की कमीशन प्रणाली में बदलाव आएगा। कंपनी चाहती है कि यदि कोई एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर बेहतर सर्विस नहीं दे रहा है तो फीडबैक के आधार पर उसे दंडित किया जाना चाहिए। इसके चलते डिस्ट्रीब्यूटर के कमीशन को दो हिस्सों में बांटने की सिफारिश की गई है। इसमें कमीशन की 80 प्रतिशत राशि फिक्स और 20 प्रतिशत राशि फीडबैक के आधार पर दी जाए। अभी डिस्ट्रीब्यूटर को फिक्स्ड कमीशन के रूप में 60 रुपए मिलते हैं। अब ऑईल कंपनियां चाहती है कि वे प्राप्त फीडबैक के आधार पर डिस्ट्रीब्यूटर को रेटिंग अंक प्रदान करें और उसमें से 20 प्रतिशत राशि का हिस्सा तय किया जाए। 

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