May 18, 2024

मध्य प्रदेश-राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कौन-कौन बनेगा मुख्यमंत्री? बीजेपी के लिए असली लड़ाई अब

नईदिल्ली। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार बनाती हुई नजर आ रही है, जबकि कांग्रेस के हाथ सिर्फ तेलंगाना लगा है. बीजेपी ने इस बार कहीं भी मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किया था. पीएम मोदी के नाम और काम पर वोट मांगे गए थे. बीजेपी ने भले ही पीएम के चेहरे पर चुनावी जंग फतह कर ली हो, लेकिन असली इम्तिहान उसका अब शुरू होगा. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी किनको-किनको मुख्यमंत्री बनाएगी?

बीजेपी मध्य प्रदेश में 160 से ज्यादा सीटें जीतती हुई नजर आ रही है, तो राजस्थान में 110 सीटों के आसपास जीत रही है. छत्तीसगढ़ में बीजेपी बहुमत का आंकड़ा हासिल कर रही है. तीनों ही राज्यों में बीजेपी ने अपने सांसद और दिग्गज नेताओं को भी चुनावी मैदान में उतारा था. इसके अलावा वसुंधरा राजे, शिवराज सिंह चौहान और डॉ. रमन सिंह को उनकी परंपरागत सीट से टिकट दिया था. तीनों ही नेता भारी मतों से जीतते हुए नजर आ रहे हैं. ऐसे में बीजेपी इन तीनों ही नेताओं को उनके राज्यों में इग्नोर करके क्या किसी दूसरे नेता को सत्ता की कमान देने का साहस करेगी?

मध्य प्रदेश में किसे मिलेगी कमान?
मध्य प्रदेश में बीजेपी ने सीएम शिवराज सिंह चौहान के चेहरे की बजाय सामूहिक नेतृत्व में लड़ने का फैसला किया और कई सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव में उतारा था. बीजेपी के ज्यादातर दिग्गज नेता चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं. शिवराज सिंह चौहान, कैलाश विजयवर्गीय, प्रह्लाद पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर तक सभी चुनाव जीत दर्ज कर रहे हैं. बीजेपी की जीत में मोदी फैक्टर के साथ-साथ शिवराज सरकार की लाडली बहना योजना का भी श्रेय माना जा रहा है. इसके अलावा शिवराज की लोकप्रियता ने भी बीजेपी की जीत में अहम भूमिका अदा की है और कमलनाथ के चेहरे पर भारी पड़े हैं.

शिवराज सिंह चौहान कांग्रेस की गारंटी कार्ड के काउंटर में लोक-लुभावन वादे करके सियासी फिजा को बीजेपी के पक्ष में मोड़ने में काफी हद तक सफल रहे हैं. ऐसे में शिवराज सिंह चौहान को अब सीएम पद की रेस से बाहर करना बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा. बीजेपी के लिए एमपी में शिवराज का सियासी विकल्प तलाशना आसान नहीं है, क्योंकि पार्टी के बाकी नेताओं का सियासी ग्राफ एक इलाके तक ही सीमित है. शिवराज सिंह चौहान को पार्टी वर्तमान का नेता मान रही है, लेकिन भविष्य के नेता के तौर पर उसे नया चेहरा तालशाना होगा. महिलाओं के बीच शिवराज का अपना ग्राफ है और उसे नजरअंदाज करना मुश्किल है.

कांग्रेस अगर शिवराज सिंह चौहान की जगह किसी और को कमान सौंपती है तो उसमें कैलाश विजयवर्गीय, प्रह्लाद सिंह पटेल, राकेश सिंह की किस्मत खुल सकती है. इसके अलावा ज्योतिरादित्व सिंधिया भी सीएम पद के दावेदारों में एक माने जा रहे हैं. सिंधिया का एमपी के सीएम बनने की राजनीतिक महात्वकांक्षा जगजाहिर है. असम में जिस तरह से कांग्रेस से आए हेमंत बिस्वा सरमा को बीजेपी ने सीएम बनाया है, उसी तरह से सिंधिया की किस्मत खुलने के कयास लगाए जाते रहे हैं.

राजस्थान में किसकी हवा?

राजस्थान की सत्ता में बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ वापसी करती हुई नजर आ रही है और कांग्रेस को करारी मात खानी पड़ी है. बीजेपी ने किसी भी चेहरे को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया था जबकि इससे पहले चार चुनाव में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को ही आगे कर चुनाव लड़ती रही है. बीजेपी को जिस तरह से 110 से ज्यादा सीटों पर जीत मिलती दिख रही है, उससे अब सभी के मन में एक ही सवाल है कि पार्टी किसे राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाएगी.

वसुंधरा राजे राजस्थान में बीजेपी की सबसे कद्दावर नेताओं में से एक हैं और उनका सियासी ग्राफ पूरे प्रदेश में है. इसके चलते वसुंधरा राजे का नाम सीएम की रेस में सबसे आगे नजर आ रहा है, लेकिन शीर्ष नेतृत्व के साथ उनके रिश्ते बहुत अच्छे नहीं रहे हैं. ऐसे में वसु्ंधरा राजे को पार्टी क्या फिर से मुख्यमंत्री बनाएगी. इस पर सस्पेंस दिख रहा है, लेकिन जिस तरह से वसुंधरा के गुट के तमाम नेता जीतकर आए हैं, उससे चलते उन्हें इग्नोर करना मुश्किल है.

राजस्थान में बीजेपी के लिए वसुंधरा राजे का सियासी विकल्प तलाशना आसान नहीं है, लेकिन बाबा बालकनाथ, दीया कुमारी और गजेंद्र सिंह शेखावत जैसे नेता भी रेस में माने जा रहे हैं. बालकनाथ और दिया कुमारी को बीजेपी ने सांसद रहते हुए विधानसभा का चुनाव लड़ाया और दोनों ही नेता जीतकर आए हैं. दिया कुमारी राज परिवार से हैं, महिला हैं और राजपूत समुदाय से आती हैं. राजस्थान में बीजेपी सियासत में फिट बैठ रही हैं और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथ भी बेहतर तालमेल हैं, लेकिन राज घराने से होना उनके सियासी राह में बाधा बन सकती है.

बालकनाथ राजस्थान में बीजेपी के हिंदुत्व के पोस्टर बॉय हैं और सीएम पद के सर्वे में नंबर एक पर थे. बीजेपी ने जिस तरह से यूपी में सीएम की कुर्सी योगी आदित्यनाथ को सौंपी थी, उसी आधार पर अगर पार्टी फैसला करती है तो फिर महंत बालकनाथ के सितारे बुलंद हो सकते हैं. बीजेपी ने इस बार हिंदुत्व के पिच पर चुनावी मैदान में उतरी थी. सीएम पद के दावेदारों में केंद्रीय गजेंद्र सिंह शेखावत का नाम भी आता है. राजस्थान में अशोक गहलोत के खिलाफ सबसे ज्यादा मोर्चा खोलने वाले नेताओं में गजेंद्र सिंह शेखावत का नाम आता है. बीजेपी नेतृत्व के भी करीबी नेताओं में गिने जाते हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री पद के रेस में शेखावत को भी माना जा रहा है. ऐसे में देखना है कि बीजेपी ने वसुंधरा राजे को इग्नोर करके क्या दिया कुमारी, बालकनाथ या फिर गजेंद्र सिंह शेखावत को सीएम बनाने का काम करेगी?

छत्तीसगढ़ में कौन होगा मुख्यमंत्री

छत्तीसगढ़ की सियासी बाजी भी बीजेपी ने अपने नाम कर ली है. बीजेपी के लिए यह जीत राजस्थान और मध्य प्रदेश से भी ज्यादा अहम मानी जा रही है, क्योंकि कांग्रेस बहुत की कॉन्फिडेंस नजर आ रही थी. सीएम भूपेश बघेल के सियासी कद का बीजेपी में कोई दूसरा नेता भी नजर नहीं आ रहा था. बघेल सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर भी सार्वजनिक रूप से दिख नहीं रही थी. इसके बावजूज बीजेपी ने जिस तरह से जीत दर्ज की है, उससे एक बात साफ है कि इस जीत के पीछे पीएम मोदी का हाथ माना जा रहा है.

बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में किसी भी नेता को सीएम पद का चेहरा घोषित नहीं किया था. पीएम मोदी के नाम और काम पर चुनाव लड़ी थी, लेकिन बीजेपी ने डॉ. रमन सिंह को उनकी परंपरागत सीट से चुनाव मैदान में उतारा था. रमन सिंह चुनाव जीतने में सफल रहे हैं, लेकिन सीएम पद पर अपनी दावेदारी खुलकर पेश नहीं कर पा रहे हैं. बीजेपी जैसे ही 50 सीट पर आगे बढ़ती नजर आई तो रमन सिंह ने जीत का श्रेय पीएम मोदी को दिया और साथ ही उन्होंने अपने 15 साल के कार्यकाल को जोड़कर सीएम पद की दावेदारी पेश कर दी है.

छत्तीसगढ़ में रमन सिंह बीजेपी के सबसे कद्दावर नेताओं में है, लेकिन उनकी उम्र सीएम की कुर्सी में बाधा बन सकती है. रमन सिंह 71 साल के हैं, जिसके चलते बीजेपी की नजर भविष्य के नेता की है. बीजेपी ने भूपेश बघेल के खिलाफ ओबीसी दांव खेला था और पार्टी संगठन की कमान अरुण साव को मिली थी. अरुण साव बीजेपी के सांसद हैं और पार्टी ने उन्हें विधानसभा का चुनाव भी लड़ाया है, जिसके चलते उन्हें भी सीएम के रेस में माना जा रहा है. साल 2003 में भी बीजेपी ने सीएम चेहरा घोषित नहीं किया था और चुनाव जीतने के बाद तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष रमन सिंह को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंप दी थी. यही वजह है कि बीजेपी अगर सरकार बनाती है तो मुख्यमंत्री पद पर प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव का दावा मजबूत माना जा रहा है.

सीएम पद के तीसरे दावेदारों में बृजमोहन अग्रवाल का नाम आता है. रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट से वो सात बार के विधायक हैं. इस बार वह आठवीं बार चुनाव जीतने में सफल रहे. रमन सिंह की सरकार में अग्रवाल मंत्री भी रह चुके हैं. वो स्वच्छ छवि के सरल-सहज नेताओं में भी गिने जाते हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के सियासी समीकरण में फिट नहीं बैठते हैं. इसके अलावा छत्तीसगढ़ सीएम के लिए सरोज पांडेय का नाम भी रेस में शामिल माना जा रहा है. सरोज पांडेय बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद हैं. विजय बघेल और रेणुका सिंह को भी सीएम पद का दावेदार माना जा रहा था, लेकिन विजय बघेल चुनाव हार गए हैं जबकि रेणुका सिंह आगे चल रही हैं. रेणुका सिंह आदिवासी समुदाय से आती हैं, लेकिन पार्टी क्या उन्हें सीएम बनाएगी?

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