May 2, 2024

CG विधानसभा परिक्रमा : आज तक BJP के हाथ नहीं गया मोहला मानपुर; क्या इस बार मिलेगा मौका? जानें Seat Analysis

Chhattisgarh Vidhansbha Chunav 2023: विधानसभा चुनाव 2023 में मोहला मानपुर में चौथी बार चुनाव होने जा रहे हैं. यहां फिलहाल तीन चुनावों में यहां कांग्रेस का ही कब्जा रहा है. कांग्रेस इस बात को लेकर काफी हद तक निश्चिंत है कि उसने जिले का वादा पूरा कर दिया इस कारण उसे जनता का साथ मिलेगा. हालांकि, बीजेपी की कोशिश भी होगी की वो यहां कम से कम पहली बार जीत तो हासिल करे. आइए समझते हैं पिछले तीन चुनाव के आंकड़े क्या कहते हैं.

वर्तमान स्थिति (2018)
मोहला-मानपुर-अंबागढ़ की मोहला-मानपुर सीट ST वर्ग के लिए आरक्षित हैं. अभी यहां से कांग्रेस के इंद्रशाह मंडावी विधायक हैं. साल 2018 में इनके खिलाफ कंचन माला भुर्या थी. इनका भी क्षेत्र में खासा प्रभाव रहता है.

वोटों के आंकड़े
अगर वोटों की बात करें तो मोहला-मानपुर में कुल 156134 वोटर हैं. इसमें से 78907 महिलाएं और 77223 पुरुष हैं.

2018 में वोट शेयर
मोहला-मानपुर में साल 2018 में बीजेपी को 29528 वोट मिले थे. जबकि, जीत हासिल करने वाली कांग्रेस के पास 50576 वोट आए थे. वहीं अन्य के खाते में 45364 वोट गए थे.

2018 के आंकड़े
साल 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने मोहला-मानपुर से इंद्रशाह मंडावी को अपना प्रत्याशी बयाना. इंद्रशाह मंडावी ने भी पार्टी को निराश नहीं किया उन्होंने बीजेपी की कंचन माला भुर्या के 21048 मतों के बड़े अंतर से हरा दिया और राज्य में भूपेश बघेल की सरकार बनाने में सहयोग दिया.

2013 के आंकड़े
साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस यहां पूरे दम से उतरी और एक बार फिर अपने नए कंडीडेट तेज कुंवर गोवर्धन नेताम को मोहला मानपुर से बीजेपी के भोजेश शाह मंडावी के खिलाफ चुनाव जिता लाई. हालांकि, नेताम के जीत का अंतर महज 956 वोटों का ही रहा.

2008 के आंकड़े
साल 2008 में मोहला मानपुर विधानसभा सीट अस्तित्व में आई. इसमें बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों ने पूरे दम के साथ चुनाव लड़ा. इलाके में हुए पहले ही चुनाव में मोहला मानपुर से कांग्रेस के शिवराज सिंह उसारे ने बीजेपी के दरबार सिंह मंडावी को 6441 वोट यानी करीब 6 फीसदी मतों के अंतर से हरा दिया.

छत्तीसगढ़ के गठन के बाद साल 2003 में पहली बार चुनाव कराए गए. लेकिन, इस चुनाव मोहला मानपुर सीट नहीं हुआ करती थी. इसका गठन साल 2008 में परिसीमन लागू होने के बाद हुआ. तब से लेकर अब तक बीजेपी यहां एक बार भी जीत हासिल नहीं कर पाई. हर बार कंडीडेट बदला गया. इसके बाद भी पार्टी को कामयाबी नहीं मिली.

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