May 5, 2024

INDIA में 32 अरब के खर्च से तैयार दुनिया की सबसे बड़ी ऑफिस बिल्डिंग, टूटेगा पेंटागन का 80 साल का घमंड

सूरत। अमेरिका के पेंटागन का 80 साल का रिकॉर्ड ध्वस्त होने वाला है. यहां पर दुनिया की सबसे बड़ी ऑफिस बिल्डिंग है, लेकिन ये खिताब उससे गुजरात का सूरत छीन लेगा. सूरत शहर को दुनिया के 90 प्रतिशत हीरे तैयार करने के लिए जाना जाता है. इस शहर में दुनिया की सबसे ऊंची ऑफिस बिल्डिंग बनकर तैयार है, जिसे सूरत डायमंड बोर्स के नाम से जाना जाएगा. हाल में इसका उद्घाटन किया गया. ये पॉलिशर्स और व्यापारियों सहित 65,000 से अधिक हीरा पेशेवरों के लिए एक बड़ा केंद्र होगा.

सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 7.1 मिलियन वर्ग फुट से अधिक जगह के साथ, यह दुनिया की सबसे बड़ी ऑफिस बिल्डिंग के रूप में अमेरिका के पेंटागन को पीछे छोड़ देगी. 35 एकड़ में फैले अपने प्रभावशाली 15-मंजिला परिसर के साथ, सूरत डायमंड बोर्स अपने अनूठे डिजाइन के लिए लोगों का ध्यान खींच रही है.

इस इमारत को बनने में 4 साल लगे. हालांकि कोविड के कारण निर्माण कार्य में बाधा भी पहुंची. सूरत डायमंड बोर्स नवंबर में लोगों का स्वागत करने के लिए तैयार होगा. आधिकारिक उद्घाटन इस वर्ष के अंत में निर्धारित है और इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति होगी.

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ये हैं इमारत की खास बातें
सूरत डायमंड बोर्स में 4,700 से अधिक वर्क स्पेस हैं, जो छोटे हीरे-काटने और पॉलिश करने की कार्यशालाओं के रूप में भी काम कर सकते हैं. इसमें 131 लिफ्ट के साथ-साथ कर्मचारियों के लिए खाना, जिम और कॉन्फ्रेंस करने की सुविधाएं भी शामिल हैं.

इस विशाल इमारत की तारीफ करते हुए पीएम मोदी ने कहा, सूरत डायमंड बोर्स सूरत के हीरा उद्योग की गतिशीलता और विकास को प्रदर्शित करता है. यह भारत की उद्यमशीलता की भावना का भी प्रमाण है. यह व्यापार और सहयोग के केंद्र के रूप में काम करेगा, जिससे इसे और बढ़ावा मिलेगा. ये हमारी अर्थव्यवस्था और रोजगार के अवसर पैदा करेगा. बताया जाता है कि इस इमारत को बनाने में 32 अरब रुपये का खर्च आया.

प्रोजेक्ट के सीईओ, महेश गढ़वी ने सूरत डायमंड बोर्स के फायदों के बारे में बताया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह कैसे हजारों लोगों को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए ट्रेन से मुंबई की रोज की यात्रा से बचाएगा. उन्होंने इसे हीरा व्यापार गतिविधियों के संचालन के लिए एक बेहतर विकल्प बताया.

सूरत डायमंड बोर्स का निर्माण भारतीय वास्तुकला फर्म मॉर्फोजेनेसिस द्वारा किया गया, जिसने एक अंतरराष्ट्रीय डिजाइन प्रतियोगिता जीती थी. परियोजना का आकार मांग के आधार पर निर्धारित किया गया था. निर्माण शुरू होने से पहले सभी कार्यालय हीरा कंपनियों द्वारा खरीदे गए थे.

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