बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित सोलर लाइट घोटाला मामले में हाईकोर्ट (High Court) ने गुरुवार को फिर सुनवाई की। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा (Chief Justice Ramesh Sinha) की डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई के दौरान शासन की तरफ से महाधिवक्ता (Advocate General) ने बताया कि इस मामले की जांच के लिए 6 अगस्त 2024 को विधानसभा की एक समिति बनाई गई थी और अभी विस्तृत जांच रिपोर्ट आनी बाकी है।
बस्तर के 181 गांवों में लाइट गायब
मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बस्तर संभाग (Bastar Division) के सुकमा (Sukma), बस्तर (Bastar), कोंडागांव (Kondagaon) और कांकेर (Kanker) के अलावा जांजगीर-चांपा (Janjgir-Champa) जिले में करोड़ों रुपये के भुगतान के बाद भी सोलर स्ट्रीट लाइट (Solar Street Light) नहीं लगाई गईं। जांच में सामने आया कि बस्तर के करीब 181 गांवों में लाइटें अब तक नहीं लगाई गईं जबकि ठेकेदारों को पूरा भुगतान कर दिया गया।
हाईकोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान
गौरतलब है कि इस घोटाले की जानकारी समाचार माध्यमों के जरिए सामने आई थी। मीडिया रिपोर्ट्स में घोटाले की परतें खुलने के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने खुद ही इस मामले को जनहित याचिका के तौर पर लिया और स्वत: संज्ञान (Suo Moto) लिया। इसके बाद से ही कोर्ट की नजर इस मामले पर बनी हुई है।
सितंबर में अगली सुनवाई तय
गुरुवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने सरकार को निर्देश दिए कि वह सितंबर में होने वाली अगली सुनवाई तक विधानसभा समिति की विस्तृत जांच रिपोर्ट पेश करें। कोर्ट ने कहा कि यह घोटाला ग्रामीण विकास और सरकारी कामकाज की पारदर्शिता पर सीधा सवाल खड़ा करता है, इसलिए जांच पूरी और निष्पक्ष होनी चाहिए।
सख्त कार्रवाई की उम्मीद
हाईकोर्ट के स्वत: संज्ञान लेने के बाद लोगों को उम्मीद है कि इस मामले में दोषियों पर जल्द ही सख्त कार्रवाई होगी। बस्तर जैसे दूरस्थ इलाकों में जहां बिजली की सुविधा पहले से कमजोर है, वहां सोलर लाइट्स के नाम पर करोड़ों की हेरा-फेरी होना गंभीर चिंता का विषय है। अब सभी की नजरें सितंबर में होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं।