March 29, 2024

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : दरभा थाने में दर्ज मामले की जांच एनआईए नहीं राज्य सरकार की एजेंसी करेगी

रायपुर| छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को तगड़ा झटका लगा है। जस्टिस आरसीएस सामंत और जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की डिवीजन बेंच ने प्रदेश के बहुचर्चित झीरम घाटी हत्याकांड में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की अपील को खारिज कर दिया है। इस फैसले के बाद अब राज्य सरकार झीरम घाटी हत्याकांड के राजनीतिक षडयंत्रों की जांच कर सकती है।

प्रदेश में कांग्रेस के सरकार बनने के बाद झीरम घाटी हत्याकांड में दिवंगत उदय मुदलियार के बेटे जितेंद्र मुदलियार ने दरभा थाने में साल 2020 में हत्या और षडयंत्र का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया है। पुलिस में दर्ज इस आपराधिक प्रकरण को एनआईए ने जगदलपुर की विशेष अदालत में चुनौती दी थी। केस को एनआईए को सौंपने की मांग भी की थी, लेकिन विशेष अदालत ने आवेदन को खारिज कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ एनआईए ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। प्रारंभिक सुनवाई के दौरान ही हाईकोर्ट ने इस प्रकरण की जांच पर रोक लगा दी थी, तब से मामले की सुनवाई लंबित थी और राज्य सरकार जांच शुरू नहीं कर पाई थी। बुधवार को डिवीजन बेंच ने फैसला सुनाते हुए एनआईए की अपील को खारिज कर दिया है वहीं कोर्ट के फैसले के जितेंद्र मुदलियार ने कहा है कि अब न्याय की उम्मीद जगी है। उम्मीद है कि षड़यंत्र का खुलासा होगा। उन्होंने कहा कि एनआईए की आपत्ति के कारण इस मामले में निष्पक्ष जांच नहीं हो पा रही थी। इससे पहले 8 फरवरी को एनआईए की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के एडिशनल सालिसिटर जनरल विक्रम जीत बनर्जी और हाईकोर्ट के असिस्टेंट सालिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने बहस की। उन्होंने एनआईए एक्ट का हवाला देकर तर्क प्रस्तुत किया। कहा कि जिस मामले की एनआईए जांच कर चुकी है, उस पर राज्य शासन को जांच करने का अधिकार नहीं है। जांच का कोई बिंदु है तो उसे एनआईए के समक्ष रखा जा सकता है। उनकी बहस पूरी होने के बाद 9 को शासन की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता सुनील ओटवानी ने पक्ष रखा। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिस पर आज फैसला आया है।

शासन की ओर से कहा गया- ट्रायल कोर्ट को केस ट्रांसफर का अधिकार नहीं
राज्य शासन की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता ओटवानी ने कहा कि ट्रायल कोर्ट को इस केस को ट्रांसफर करने का अधिकार नहीं था। प्रावधान के अनुसार एक ऍफ़आईआर को दूसरे प्रकरण में ट्रांसफर नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि झीरम घाटी हत्याकांड वृहद राजनीतिक षडयंत्र है, जिस पर एनआईए ने जांच नहीं की है। यही वजह है कि इस मामले में राज्य पुलिस ने अलग से अपराध दर्ज किया है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब राज्य शासन इस मामले की जांच कर सकेगी।

एनआईए के आदेश को बताया था अपवाद
वहीं दूसरी ओर हस्तक्षेपकर्ता व पुलिस में आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने वाले जितेंद्र मुदलियार की तरफ से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव बहस की। उन्होंने एनआईए एक्ट को अपवाद बताया। साथ ही कहा कि किसी भी अपराध की जांच का जिम्मा राज्य पुलिस को होता है। एनआईए किसी विशेष प्रकरण की ही जांच कर सकती है।

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