May 10, 2024

50 साल बाद आखिर तिरुपति बाला जी को क्यों नहीं मिलेगा नंदिनी घी, अब कैसे बनेगा महाप्रसाद?

चित्तूर। आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित तिरुपति बाला जी का मंदिर लाखों-करोड़ों लोगों की आस्था का बड़ा केंद्र है. जहां पर भगवान विष्णु के अवतार माने जाने वाले भगवान श्री वेंकटेश्वर स्वामी विराजमान हैं. यह मंदिर न सिर्फ देश धनी मंदिरों की पायदान में सबसे ऊपर होने के कारण बल्कि अपने लड्डू के लिए भी जाना जाता है. जिसे यहां आने वाले भक्तों को ‘प्रसादम’ या नैवेद्यम के रूप में दिया जाता है. तिरुपति बाला जी का महाप्रसाद माने जाने वाले लड्डू को ‘पोटू’ नाम की गुप्त रसोईघर में शुद्ध बेसन, बूंदी, चीनी, काजू और शुद्ध घी आदि की मदद से तैयार किया जाता है।

कंपनी ने घी देने से किया इंकार
जिस लड्डू को तिरुपति बाला जी के भक्त न सिर्फ मंदिर में जाकर बल्कि देश-विदेश में घर बैठे अपने पास मंगवा सकते हैं, उसे बनाने के लिए उपयोग में लाए जाने वाली घी को लेकर संकट पैदा होने की आशंका है क्योंकि इसकी आपूर्ति करने वाली कंपनी केएमएफ (कर्नाटका मिल्क फेडरेशन) ने रियायत दर पर देवास्थानम को घी की आपूर्ति करने के लिए मना कर दिया है. गौरतलब है कि तिरूपति देवास्थानम् और केएमएफ का बीते पांच दशक से अटूट रिश्ता चला आ रहा है. मंदिर में बनाए जाने वाले महाप्रसाद को बनाने के लिए केएमएफ का नंदिनी देशी घी प्रयोग में लाया जाता है. गौरतलब है कि कंपनी ने बीते छह महीने में देवास्थानम् को 14 लाख रुपये का घी सप्लाई किया है.

कंपनी ने आखिर क्यों खड़े किए हाथ
कंपनी ने बीते 6 महीने में 14 लाख किलो घी तिरूपति देवास्थानम को रियायती दाम पर सप्लाई किया गया, लेकिन अब उसने इस मंदिर के टेंडर को यह कहते हुए छोड़ दिया है कि वह कम कीमत पर नंदिनी घी उपलब्ध कराने में असमर्थ है. कंपनी का तर्क है कि कर्नाटक में दूध की कमी होने के चलते इसके दाम में बढ़ोत्तरी करना अब उनकी मजबूरी है. यही कारण है कि उसने कम कीमत पर घी नहीं बेंचने का फैसला किया है. कंपनी का दावा है कि यदि कोई भी कंपनी कम कीमत पर तिरुपति देवास्थनम को घी सप्लाई के लिए बोली लगाती है तो निश्चित तौर पर वह उसकी गुणवत्ता से समझौता करेगी. जिसका प्रभाव सीधे भगवान तिरुपति के प्रसादम् पर देखने को मिलेगा.

बेहद खास तरीके से तैयार होता है लड्डू
तिरुपति बाला जी का प्रसादम् को पारंपरिक तरीके से मंदिर के कुछ खास रसोईये ही बनाते हैं. हालांकि प्रसादम् की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए मशीन भी आ गई है, जिसकी मदद से एक दिन में तकरीबन 6 लाख लड्डू तैयार होते हैं. लड्डू को बनाए जाने वाला न सिर्फ तरीका यूनीक है बल्कि उसका वजन आदि भी तय होता है. खास बात यह कि इसकी लोग नकल भी नहीं कर सकते हैं.

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