May 15, 2024

अटल सरकार में मंत्री रहे दिलीप रे कोयला घोटाले में दोषी करार

नई दिल्ली | दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कोयला राज्यमंत्री रहे दिलीप रे और पांच अन्य को कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में दोषी ठहराया। कोर्ट ने कहा कि इन लोगों ने एक साथ साजिश रची, ये बात बिना किसी संदेह के साबित होती है। यह मामला 1999 में कोयला मंत्रालय की 14वीं स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा झारखंड के गिरिडीह जिले में 105.153 हेक्टेयर कोयला खनन क्षेत्र के आवंटन से संबंधित है।

दिलीप रे के अलावा, कोयला मंत्रालय के दो पूर्व वरिष्ठ अधिकारी – प्रदीप कुमार बनर्जी और नित्यानंद गौतम भी दोषी पाए गए हैं। इसके अलावा कोर्ट ने कास्त्रोन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के पूर्व सलाहकार (प्रोजेक्ट्स) और इसके निदेशक महेंद्र कुमार अग्रवाल को भी दोषी पाया है।

दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश भरत पाराशर ने झारखंड के कोल ब्लॉक आवंटन के मामले में दिलीप रे को आपराधिक साजिश का दोषी पाया। दिलीप रे 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कोयला मंत्री थे।

अदालत ने उन्हें 120बी (आपराधिक साजिश) 409 (आपराधिक विश्वासघात) और भारतीय दंड संहिता की 420 (धोखाधड़ी) और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत अपराध का दोषी ठहराया है।

इसके अलावा, महेश कुमार अग्रवाल और कैस्ट्रॉन माइनिंग लिमिटेड को भी 379 (चोरी की सजा) और भारतीय दंड संहिता के 34 के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराया है। दोषियों के खिलाफ सजा का ऐलान 14 अक्टूबर को होगा।

मामले में 51 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, मामले में पाए गए तथ्य और परिस्थितियां स्पष्ट रूप से साबित करती हैं कि निजी पार्टियां और सरकारी सेवक आपराधिक साजिश रचने में एक साथ मिले हुए थे।

कोर्ट में कहा गया कि ब्रम्हाडीह कोयला ब्लॉक राष्ट्रीयकृत कोयला खदान नहीं था और कोयला मंत्रालय द्वारा आवंटित की जाने वाली कैप्टिव कोयला ब्लॉकों की चिन्हित सूची में भी शामिल नहीं था।

वरिष्ठ लोक अभियोजक ए.पी. सिंह ने अदालत को बताया था कि ब्रम्हाडीह कोयला ब्लॉक निजी पार्टियों को आवंटित किया जाने वाला एक चिन्हित कैप्टिव कोल ब्लॉक नहीं था। यहां तक कि स्क्रीनिंग कमेटी भी इसे किसी भी कंपनी को आवंटित करने पर विचार करने के लिए सक्षम नहीं थी।

अभियोजन पक्ष ने कहा कि दिलीप रे ने खुद कोयला मंत्रालय के दिशानिर्देशों को मंजूरी दी थी कि अगर ओपन कास्ट में वार्षिक उत्पादन क्षमता 1 एमटीपी से कम है तो लौह और इस्पात या स्पंज आयरन के उत्पादन में लगी कंपनी को कोई भी कोयला ब्लॉक आवंटित नहीं किया जाएगा। हालांकि, कैस्ट्रोन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के मामले में, उन्होंने इन दिशानिर्देशों को कमजोर करने पर सहमति जता दी, ताकि इसमें शामिल निजी पार्टियों को अनुचित लाभ मिल सके।

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