May 3, 2024

वन नेशन वन हेल्पलाइन: 200 जिलों में चाइल्ड हेल्पलाइन का शटर डाउन, 1098 को टेकओवर करेगी केंद्र सरकार, ERSS 112 से जोड़कर घटाएंगे रिस्पॉन्स टाइम

नईदिल्ली। भारत सरकार चाइल्डलाइन 1098 का अधिग्रहण कर गृहमंत्रालय के इमरजेंसी रिस्पॉन्स नंबर 112 के साथ एकीकृत करने जा रही है. केंद्र सरकार “वन नेशन वन हेल्पलाइन” के तर्ज पर काम करने के लिए इसका इस्तेमाल करेगी. केंद्र सरकार का दावा है कि चाइल्डलाइन के टेक ओवर के बाद संकट में फंसे बच्चों के लिए रिलीफ और रिस्पॉन्स टाइम घट जाएगा.

दरअसल बच्चों के हितों की रक्षा और आपदाग्रस्त बच्चों के बचाव का काम करने वाली गैर सरकारी संगठन (NGO) चाइल्डलाइन हेल्पलाइन को भारत सरकार टेक ओवर कर रही है. चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन बच्चों के राहत और बचाव के लिए काम करने वाली देश की सबसे बड़ा एनजीओ है जो देशभर में करीब 1000 से अधिक एनजीओ पार्टनर के साथ बच्चों को त्वरित मदद पहुंचाने का काम करता है.

30 जून तक टेकओवर करने का प्लान
अब भारत सरकार चाइल्डलाइन हेल्पलाइन 1098 को 30 जून तक टेक ओवर करके गृह मंत्रालय की आपातकालीन हेल्पलाइन (ईआरएसएस-112) के साथ एकीकृत करने जा रही है. चाइल्डलाइन की सेवा “1098” वर्ष 1995 में शुरू की गई थी जिसे पूरे देश में लगभग 1000 से ज्यादा एनजीओ द्वारा संचालित किया जा रहा था. भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय चाइल्डलाइन को हरेक साल 140 करोड़ रुपए का ग्रांट देती रही है.

200 जिलों में नहीं कर रहे थे काम
एनजीओ के अधिग्रहण और ईआरएसएस 112 के साथ एकीकरण के बाद 1098 हेल्पलाइन नंबर स्थानीय जिला प्रशासन और पुलिस के माध्यम से संचालित किया जाएगा. केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक चाइल्डलाइन हेल्पलाइन देश के 568 जिलों में हेल्पलाइन केंद्र चलाने का दावा कर रहा था जबकि मंत्रालय द्वारा जांच के बाद पता चला कि 200 जिलों में वो कोई काम नहीं कर रहे थे.

रिस्पॉन्स टाइम लगभग 60 मिनट
चाइल्डलाइन 1098 चलाने वाली संस्था चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन अपने 1000 से अधिक एनजीओ इकाइयों के नेटवर्क के माध्यम से 568 जिलों, 135 रेलवे स्टेशनों और 11 बस स्टैंडों में चाइल्डलाइन सेवाएं चला रहा है. सामान्य तौर पर संकट में फंसे बच्चों के बचाव के लिए 1098 पर कॉल का रिस्पॉन्स टाइम लगभग 60 मिनट है. केंद्र सरकार का मानना है कि अंततः चाइल्डलाइन के लोग भी स्थानीय पुलिस और प्रशासन की मदद से ही बच्चों की सहायता कर पाते हैं. फिर क्यों ना एक ऐसा सिस्टम ही बना दिया जाय, जिससे रिस्पॉन्स टाइम कम से कम हो.

बच्चों को कम से कम समय में पहुंचाएंगे मदद
महिला बाल विकास मंत्रालय के उच्चाधिकारी ने बताया कि इसी को ध्यान में रखते सरकार ने सभी आपातकालीन मामलों के लिए ईआरएसएस-112 के साथ चाइल्ड हेल्पलाइन को एकीकृत करने का निर्णय लिया है ताकि संकट की स्थिति में बच्चों को तत्काल सहायता पहुंचाई जा सके. मौजूदा प्रणाली में पुलिस, फायर, एम्बुलेंस जैसी अन्य सेवाओं के साथ आपसी सामंजस्य का अभाव देखने को मिलता है, जिससे संकट की स्थिति में कीमती समय की बर्बादी होती है.

इनकमिंग कॉल्स को तीन श्रेणियों में बांटा
WCD मंत्रालय ने बताया कि फिलहाल 1098 नंबर पहले के तरह ही कार्यरत रहेगा. हालांकि बाद में इस तरह के सभी कॉल के लिए एक ही नंबर 112 ही उपलब्ध रहेगा. इन नंबरों पर इनकमिंग कॉल्स को तीन श्रेणियों में बांटा जाएगा… पहला, आपातकालीन, दूसरा, गैर-आपातकालीन और तीसरा, सामान्य सूचना कॉल. इन कॉल्स को श्रेणियों के आधार पर त्वरित कार्रवाई के लिए विभिन्न विभागों को तुरंत स्थानांतरित किया जाएगा.

गृह मंत्रालय और राज्य सरकारों के साथ चर्चा
इस मुद्दे पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने गृह मंत्रालय और राज्य सरकारों के साथ पहले ही चर्चा कर लिया है और सभी हितधारक मंत्रालय और राज्य सरकारें इस नई व्यवस्था प्रणाली को लागू करने के लिए सहमत भी हो चुके हैं. 30 जून के बाद पहले चरण में 10 राज्यों में ये नई प्रणाली शुरू की जाएगी. ये राज्य हैं- आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव, गुजरात, गोवा, लद्दाख, मिजोरम और पुडुचेरी हैं. जबकि 14 दूसरे राज्य इस नई व्यवस्था प्रणाली को जुलाई के अंत तक लागू करेंगे और अगले तीन महीने के भीतर ये व्यवस्था समूचे देश में लागू हो जायेगा.

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