रायपुर। छत्तीसगढ़ जिसे देश का ‘धान का कटोरा’ कहा जाता है, अब सिर्फ अनाज उत्पादन तक सीमित नहीं रहा। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) मुंबई के सहयोग से विकसित किए गए चावल की कुछ खास किस्में अब बीमारियों से लड़ने में भी अहम भूमिका निभा रही हैं। ये चावल न सिर्फ कैंसर, मधुमेह और कुपोषण जैसी गंभीर समस्याओं से लड़ने में मददगार हैं, बल्कि विदेशों में भी इनकी भारी मांग है।

संजीवनी चावल: कैंसर के खिलाफ प्राकृतिक हथियार
छत्तीसगढ़ में विकसित किया गया संजीवनी चावल कैंसर रोगियों के लिए इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में कार्य करता है। वैज्ञानिकों के अनुसार इसे 10 दिन तक खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होती है। इसमें मौजूद पोषक तत्व शरीर में कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को धीमा करने में कारगर पाए गए हैं।

छत्तीसगढ़ जिंक राइस-2: कुपोषण से मुकाबला
छोटे बच्चों में कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए जिंक राइस-2 वरदान साबित हो रहा है। यह न सिर्फ पोषण तत्वों से भरपूर है बल्कि डायरिया जैसे रोगों में भी रिकवरी को तेज करता है।

मधुराज–55: शुगर पेशेंट्स के लिए उपयुक्त
मधुराज-55 चावल की एक ऐसी किस्म है जिसमें शर्करा की मात्रा कम होती है। यह मधुमेह रोगियों के लिए अनुकूल है, जिससे उनकी शुगर कंट्रोल में रहती है और शरीर को आवश्यक पोषण भी मिलता है।

धान की 23 हजार से अधिक वैराइटी, देश-विदेश में बढ़ती लोकप्रियता
छत्तीसगढ़ के पास धान की 23,000+ वैरायटीज हैं, जिनमें जीआई टैग प्राप्त दुबराज, विष्णुभोग, तरुण भोग, बादशाह भोग जैसी खुशबूदार और पोषणयुक्त किस्में शामिल हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इनकी मांग अब चीन, अफ्रीका और बंगाल-ओडिशा जैसे राज्यों में भी तेजी से बढ़ी है।

कुछ और खास किस्में जो दे रही हैं स्वास्थ्य लाभ
प्रोटेजिन:
हाई प्रोटीन वैराइटी, इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक
जिंको राइस एमएस: कुपोषण से लड़ने के लिए आदर्श
TCDM-1: दुबराज म्यूटेंट किस्म, BARC के सहयोग से विकसित
देवभोग: रोग-प्रतिरोधक, कम समय में तैयार होने वाली किस्म

बाजार में उपलब्धता और ऑनलाइन बिक्री
इन औषधीय चावलों को अब बाजारों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर भी उपलब्ध कराया जा रहा है ताकि आम लोग भी इन स्वास्थ्यवर्धक किस्मों का लाभ उठा सकें।

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