May 6, 2024

CG – पीला मेंढक! मानसून आते ही दिखने लगा पीला मेंढक, क्या है इन्डियन बुल फ्रॉग? जानिये पूरा मामला

रायपुर । छत्तीसगढ़ में मानसून पुरे शबाब पर है। बरसात भी जमकर हो रही है और नदी नाले उफान पर है। मानसून आते ही कई अजीबो गरीब नजारे भी दिख रहे हैं। राजधानी रायपुर के आउटर में इन दिनों मानसून में पीला मेंढक लोगों में जिज्ञासा की वजह बना हुआ है। मटमैले कलर का अमूमन पाया जाने वाला मेंढक रायपुर के कुछ इलाकों में गड्ढे पोखरों में पीले रंग का मिल रहा है। नदी तालाबों में बड़ी तादाद में पीला मेंढक देखकर लोग अचरज में हैं। ऐसा नज़ारा दुर्ग और बिलासपुर के कुछ जगहों पर दिखने की खबर हैं।

राजधानी के 83 वर्षीय बुजुर्ग रोमल लाल का कहना है कि मानसून के दौरान पीला मेंढक देखा गया तो बारिश होने के अच्छे संकेत होते हैं। रायपुर के आउटर में पोखरों में दिख रहे हैं ऐसे मेंढक आकार में काफी बड़े होने के साथ ही गहरे पीले रंग के थे। वहीँ बिलासपुर और दुर्ग में देखे गए मेंढक रायपुर के मेंढकों से आकार में कुछ छोटे थे। इनको देखने के लिए लोगों की भीड़ लग गई।

पर्यावरणविद दीपक लाल का कहना हैं कि इस तरह के पीले रंग के मेंढक को इंडियन बुल फ्रॉग कहा जाता है। यह नर मेंढक होते हैं जो बिलों में रहते हैं और अच्छी बारिश होने पर बाहर निकलते हैं। इनका यह स्वभाव रहता है कि ये मादा मेंढ़क को आकर्षित करने के लिए रंग बदलते हैं। मादा मेंढक सामान्य रंग के ही होते हैं। मेटिंग, संसर्ग के बाद इन्डियन बुल फ्रॉग यानि पीले रंग के मेंढक का रंग भी सामान्य हो जाता है। साथ ही जानकारी के अभाव में लोग इस दुर्लभ प्रजाति के मेढक को जहरीला समझते हैं जबकि मेढकों की यह दुर्लभ प्रजाति भारत में पाया जाता है।

एक यूनिक नेचुरल फेनोमेना है। मादा मेंढक सामान्य रंग के ही होते हैं। मेटिंग, संसर्ग के बाद इन्डियन बुल फ्रॉग यानि पीले रंग के मेंढक का रंग भी सामान्य हो जाता है। प्रजनन काल में ये नर मेंढक अपना रंग बदल कर गहरा पीला कर लेता है। इन्हें राना ट्रिगिना भी कहते हैं। ये आमतौर पर भूरे रंग से लेकर ऑलिव ग्रीन रंग तक में होते हैं,इनके शरीर में बीच में एक लाइन होती है।मेटिंग के दौरान ये पीले रंग के नजर आते हैं।इस प्रजाति के मेेढ़क जहरीले नहीं होते हैं। ये सिर्फ मेटिंग के लिए इकट्ठा होते हैं। दुर्लभ प्रजाति का इंडियन बुल फ़्रॉग किसानों के लिए लाभदायक है और ईको-फ़्रेंडली भी है। मानसून सीजन में मादा मेढ़की को लुभाने के लिए मेढ़क अक्सर अपना रंग-रूप बदल लेते हैं। यह उनकी ब्रीडिंग का समय होता है।ये मेढ़क आमतौर पर महाराष्ट्र में ही नजर आते थे। ऐसा पहली बार है कि इन्हें छत्तीसगढ़ में भी देखा गया। बहरहाल लोग उत्सुकता वश इस पिले मेंढक को देखने बड़ी संख्या में पहुँच रहे हैं।

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