अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ में कलिंदर वाले इंजिनियर की चर्चा इन दिनों खूब हो रही हैं। कहते हैं अगर मेहनत आपकी आदत में शामिल हो जाए तो कामयाबी आपके जिंदगी का मुकद्दर संवार देती है. कुछ ऐसा ही हुआ अंबिकापुर के युवा इंजीनियर वितिश गुप्ता के साथ. वितिश इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद जब वापस अपने शहर लौटे तो उनका खेती किसानी में दिल लग गया. वितिश ने मन बनाया कि वो अपनी पारिवारिक खेती के काम को आगे बढ़ाएंगे, लेकिन नई और उन्नत तकनीक के साथ।

वितिश का फैसला और उनकी मेहनत रंग लाई. युवा किसान वितिश गुप्ता आज ग्राफ्टेड तरबूज की खेती से न सिर्फ लाखों कमा रहे हैं बल्कि सैकड़ों लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं.अंबिकापुर जैसे शहर में रोजगार का एक बड़ा जरिया वितिश ने युवाओं को मुहैया कराया है. वितिश अपने जैसे युवा किसानों को न सिर्फ उन्नत नस्ल के पौधे मुहैया करा रहे हैं बल्कि उनकी आमदनी को भी कई गुना बढ़ाने का जरिया दे रहे हैं।

ग्राफ्टिंग तकनीक के जरिए उन्नत नस्ल के पौधे तैयार करने के लिए एक सीडलिंग प्लांट भी वितिश ने लगा रखा है. सीडलिंग प्लांट में भी सैकड़ों युवक युवतियों को काम वितिश ने दिया है.सीडलिंग यूनिट में ग्राफ्ट किये गये तरबूज के पौधों ने अपना कमाल दिखाना शुरू कर दिया है।

ग्राफ्टेड तरबूज लगाने वाले गांव के किसान बताते हैं कि इस बार एक एकड़ में ग्राफ्टेड तरबूज की फसल लगाई जिससे 35 टन ग्राफ्टेड तरबूज की फसल मिली.सामान्य तौर पर एक एकड़ में महज 20 टन के करीब तरबूज होते हैं. इस तरह से एक एकड़ में एक किसान को करीब 15 टन ज्यादा फसल इस बार मिली.किसानों को बंपर मुनाफा हुआ और मेहनत भी कम लगी।

वितिश गुप्ता बताते हैं कि पहली बार यहां पर ग्राफ्टेड तरबूज की खेती का ट्रायल किया गया जो पूरी तरह से सफल और फायदेमंद साबित हुआ. इससे पहले सरगुजा और झारखंड के रांची में कुछ किसानों ने ग्राफ्टेड तरबूज की खेती की थी. एक एकड़ में 15 टन से ज्यादा का फसल मिलने पर किसान काफी खुश हैं।

रंग में चटख और स्वाद में शानदार: अब तो अंबिकापुर के कई किसानों का कहना है कि वो अगली बार पूरी जमीन पर ही ग्राफ्टेड तरबूज की फसल लगाएंगे. मुनाफा दोगुना हो जाएगा. वितिश गुप्ता कहते हैं कि आम तरबूज की अपेक्षा ग्राफ्टेड तरबूज की खेती काफी फायदेमंद है. ग्राफ्टेड तरबूज न सिर्फ देखने में सुंदर होता है बल्कि स्वाद में भी बेहतर होता है. बाजार में किसानों को इसकी अच्छी कीमत मिलती है. बाजार में इस ग्राफ्टेड तरबूज की खपत और डिमांड दोनों ज्यादा है.वितिश करते हैं कि इस साल जिन किसानों ने ग्राफ्टेड तरबूज लगाया उनको बढ़िया आमदनी हुई है।

वितिश बताते हैं कि बीटेक की पढ़ाई करने के बाद लॉक डाउन में वो घर आ गये. पारिवारिक बैकग्राउंड को देखते हुए परिवार के साथ मिलकर खेती किसानी का काम शुरू किया. वितिश बताते हैं की एक बार मैं किसानों के पास गया उनसे बातचीत की. किसानों ने बताया कि वो पारंपरिक रूप से तरबूज की खेती किया करते थे लेकिन अब उसमें फायदा नहीं मिलता है. फायदे की जगह नुकसान होने के चलते किसानों ने तरबूज की खेती छोड़ दी है. वितिश कहते हैं कि इसके बाद मैंने फैसला किया कि हम तरबूज की खेती करेंगे और उसमें लगने वाले बिल्ट नाम की बीमारी को भी दूर करेंगे. इसके बाद वितिश को ग्राफ्टेड तरबूज की खेती का आइडिया आया.आज वितिश की मेहनत और उनका आइडिया अंबिकापुर के हजारों लोगों का आइडिया बनता जा रहा है. ग्राफ्टेड तरबूज की खेती की ओर तेजी से किसानों का झुकाव बढ़ा है।

वितिश अपने आधुनिक खेती और सीडलिंग प्लांट के जरिए करीब 400 लोगों को रोजगार दे रहे हैं. बड़ी संख्या में इलाके के युवक और युवती यहां सीडलिंग प्लांट में काम करने रोजाना आते हैं. किसान और युवा आज दोनों वितिश की मेहनत ओर सोच की तारीफ करते नहीं थकते हैं. वितिश कहते हैं कि हम पहले अनस्किल्ड लेबर को स्किल्ड लेबर में तब्दील करते हैं फिर युवाओं को काम पर रखते हैं. इनको डेली वेजेस पर काम दिया जाता है. बोनस भी इनको देते हैं.

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