April 27, 2024

CG- GOOD NEWS : 150 से ज्यादा ग्रामीण…730 दिनों का श्रमदान…800 मीटर ऊंची पहाड़ी पर बना डाला तालाब

जगदलपुर। बस्तर जिले (Bastar District) के लौहण्डीगुड़ा ब्लॉक के छिन्दबहार गांव के ग्रामीणों ने जल संरक्षण (Water Conservation) की एक मिसाल पेश की है, जहां करीब 150 से अधिक ग्रामीणों ने श्रमदान कर 800 मीटर ऊंची लुतु पखना (मिचनार) पहाड़ पर तालाब का निर्माण किया है. हालांकि वन विभाग के द्वारा कैंपा फंड (Campa Fund) से इस तालाब को बनाने की स्वीकृति मिली थी. आसपास के ग्रामीणों की मदद से बनाए गए इस तालाब को लेकर पूरे बस्तर में सराहना हो रही है.

इस तालाब का पानी ना सिर्फ ग्रामीणों की निस्तारी के लिए काम आएगा साथ ही आसपास इलाके में मौजूद वन्यजीवों के लिए भी पानी प्यास बुझाने का काम करेगा. तालाब को बनाने के लिए ग्रामीणों को लगभग 2 साल का समय लगा है. 85 लाख लीटर क्षमता वाले इस तालाब की गहराई 20 फीट है जबकि ये 22 हजार स्क्वायर फीट लंबा और चौड़ा है और 12 हेक्टेयर का जलग्रहण है.

730 दिन में बना पूरा तालाब- चित्रकोट फॉरेस्ट रेंज अधिकारी

चित्रकोट फॉरेस्ट रेंज के अधिकारी प्रकाश ठाकुर ने बताया कि जगदलपुर मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, लौंहडीगुड़ा ब्लॉक के छिंदबहार का इलाका पथरीला इलाका होने की वजह से यहां पानी की बड़ी किल्लत है. ऐसे में करीब 800 मीटर ऊंची लुतु पखना नाम के पहाड़ में कैम्पा फंड से तालाब बनाने के लिए जगह को चिन्हित किया गया, जिसके बाद यहां मजदूरों के माध्यम से खुदाई का काम शुरू किया गया. हालांकि शुरुआती दिनों में ग्रामीणों को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ा. उन्होंने आगे बताया कि इन सबके बावजूद ग्रामीण हिम्मत नहीं हारे और आखिरकार 730 दिन में इस लुतु पखना पहाड़ में तालाब निर्माण का कार्य को पूरा कर लिया.

800 मीटर ऊंचे से लुतु पखना पहाड़ पर श्रमदान कर बनाया तालाब

रेंजर प्रकाश ठाकुर ने बताया कि छिंदबहार गांव में करीब डेढ़ सौ परिवार रहते हैं, समतल भूमि नहीं होने की वजह से पहाड़ पर तालाब बनाने का निर्णय लिया गया और यह सफल भी हुआ. ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव के आसपास ऐसा कोई पानी का स्रोत या तालाब नहीं था जहां सालभर पानी भरा रहता हो. इसलिए उन्होंने अपने गांव में जल सरंक्षण के लिए फारेस्ट विभाग के माध्यम 800 मीटर ऊंचे से लुतु पखना पहाड़ पर श्रमदान कर तालाब बनाया गया. तालाब के निर्माण से ग्रामीण काफी खुश हैं. तालाब के पानी इस्तेमाल न सिर्फ ग्रामीण कर सकेंगे बल्कि मवेशियों के साथ जीव- जंतु भी अपनी प्यास बुझा सकेंगे.

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