April 27, 2024

…और अब ‘मिस कॉल गुरूजी’ के साथ ‘हर घर स्कूल’….7 जिलों में शुरू हुआ है ये खास अभियान

रायपुर। विश्वव्यापी महामारी कोरोना के चलते मार्च से ही स्कूल प्रदेश में बंद चल रहे हैं। इस अवधि में भी बच्चों का पढना लिखना जारी रहे, इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा राज्य के दुर्ग जिले में ‘नींव अधिगम कार्यक्रम’ के तहत ‘मिस कॉल गुरूजी’ और  ‘हर घर स्कूल’ नामक अभिनव अभियान शुरू किया गया है। इसके अंतर्गत कक्षा पहली एवं दूसरी के बच्चों को अगस्त से नवम्बर माह तक प्रारंभिक भाषा शिक्षण में दक्ष बनाया जाएगा।  जिन बच्चों के पास स्मार्टफोन उपलब्ध था वे पढाई तुंहर द्वार से वंचित थे। परन्तु मिस्ड कॉल गुरुजी कि-पेड मोबाइल वाले छात्रो  के लिए काफी उपयोगी सिद्ध हो रहा है। सुरजपुर जिले का  यह मॉडल वर्तमान में मिस्ड कॉल गुरूजी के इस वैकल्पिक शिक्षा व्यवस्था के नवाचार माडल को छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार , जांजगीर-चांपा, सरगुजा, दुर्ग, कोंडागांव और बस्तर जिले के शिक्षकों ने भी अपना लिया हैं।


दुर्ग जिले के 200 स्कूलों में ’हर घर स्कूल’ नामक अभिनव अभियान संचालित है, जिसमें दुर्ग ब्लॉक के 112 तथा पाटन ब्लॉक के 88 प्राथमिक स्कूल शामिल हैं। जिला परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा एवं लैंग्वेज एंड लर्निंग फाउंडेशन (एलएलएफ) के माध्यम से संचालित अभियान के तहत् बच्चों की भाषाई दक्षता को बेहतर बनाने का कार्य किया जा रहा है। 


इस अभियान के तहत बच्चों के पढ़ने-लिखने के लिए सरल और सुनियोजित अभ्यास पुस्तिका और पठन पुस्तिका एलएलएफ के सहयोग से उपलब्ध करायी गई है। शिक्षक बच्चों एवं पालकों से प्रतिदिन ‘मिस कॉल गुरु जी’ के अंतर्गत 200 शालाओं के 4664 बच्चों को फोन पर जुड़कर मार्गदर्शन देते हैं। इसकी सतत् मानिटरिंग की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई है। 


एलएलएफ की टीम बच्चों एवं उनके पालकों तथा शिक्षकों से सतत् संपर्क रखकर मार्गदर्शन प्रदान करती है। आवश्यकता पड़ने पर सी.ए.सी., शिक्षक एवं एलएलएफ की टीम बच्चों के घर का भ्रमण भी किया जाता है। इसमें अभिभावक द्वारा वालंटियर का सहयोग भी लिया जा रहा है। इस अभियान के सफल संचालन के लिए शिक्षकों एवं सी.ए.सी. का उन्मुखीकरण भी किया जाता है। इसके सफल होने के बाद इसे और जिलों में भी लागू किया जा सकता हैं। 

आपको बताते चले कि  स्कूल शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ द्वारा  28 जुलाई को छत्तीसगढ़ में बच्चों के सीखने – सिखाने को जारी रखे जाने हेतु सामुदायिक पहल स्वस्फूर्त शिक्षकों द्वारा अपनाएँ जा रहे कुछ नवाचारी माडल पर चर्चा हेतु मुमकिन है । शीर्षक से ऑनलाइन वेबिनार आयोजित किया गया था,जिसमें प्रदेश के कई शिक्षक, शिक्षाविद् और अधिकारी-कर्मचारियों  ने अपने जिले में कोरोना जैसे संकटकाल में बच्चों की पढ़ाई  को जारी रखने के लिए किए गए अपने -अपने नवाचार और अनुभव साझा किए ,जिसमें से 8 जिले के श्रेष्ठ नवाचार और सुझाव छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला, डीपीआई के संचालक जितेंद्र शुक्ला और सहायक संचालक समग्र शिक्षा डॉ.एम.सुधीश के समक्ष शिक्षकों, अधिकारी और कर्मचारियों ने प्रस्तुत किए ,उनमें से एक नवाचार माडल मिस्ड कॉल गुरूजी सूरजपुर जिले के शिक्षक गौतम शर्मा ने प्रस्तुत किया ,जो एक श्रेष्ठ वैकल्पिक शिक्षा व्यवस्था नवाचार माडल है।

इस नवाचार का लाभ सीधे उन सभी बच्चों को मिलेगा ,जिनके पास स्मार्टफोन की सुविधा नहीं है, इस नवाचार के तहत् पालकों के ऊपर किसी भी प्रकार का वित्तीय भार नहीं आ रहा है और बच्चे सीधे अपने साधारण मोबाइल से सिर्फ एक मिस्ड कॉल करके मिस कॉल गुरुजी से जुड़कर अपनी कक्षानुसार पढ़ाई जारी रखे हुए हैं । इस वैकल्पिक शिक्षा व्यवस्था के माध्यम से बच्चे कोरोना वायरस के संक्रमण से घर पर पूर्णत: सुरक्षित रहते हुए अपनी पढ़ाई नियमित जारी रख पा रहे हैं ।

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