May 19, 2024

शाही रणनीति : CG में छोटे-छोटे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती है BJP, सांसद भी लड़ेंगे MLA का चुनाव

रायपुर। छत्तीसगढ़ बीजेपी प्रदेश में छोटे-छोटे क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती है। बीजेपी इन दलों के साथ गठबंधन कर विधानसभा चुनाव 2023 लड़ सकती है। इसके लिए बीजेपी हाईकमान ने प्रदेश में सर्वे तेज कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के रायपुर दौरे के दौरान इस पर चर्चा भी हुई है। यदि सब कुछ बीजेपी की नीति-रीति के अनुरूप रहा, तो बीजेपी इस संबंध में जल्द निर्णय ले सकती है। इतना ही नहीं प्रदेश के सांसदों को भी विधानसभा चुनाव लड़ाया जा सकता है। बीजेपी का एक गुट इस पर विचार कर रहा है। यानी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में नए चेहरों को मौका दिया जा सकता है।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के रायपुर दौरे के दौरान इन सब बातों पर चर्चा की गई है। बता दें कि छत्तीसगढ़ कई ऐसे क्षेत्रीय दल हैं, जो संभाग के अनुसार अपने-अपने क्षेत्रों में अच्छी खासी पकड़ और जनाधार रखते हैं। इनमें सरगुजा संभाग से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और बस्तर संभाग से अरविंद नेताम की पार्टी और बिलासपुर संभाग में जोगी कांग्रेस अच्छा खासा प्रभाव रखती है। भले ही ये दल छत्तीसगढ़ में गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल हैं पर ये अपना प्रभुत्व रखते हैं। इसलिए छत्तीसगढ़ चुनाव की कमान संभाल रहे राजनीति के पंडित अमित शाह इस पर विचार कर सकते हैं। इसे लेकर पार्टी का करीब-करीब सर्वे पूरा हो चुका है। यूपी की तरह ही यहां के गठबंधन पर भी विचार किया जा सकता है या बाहर से भी समर्थन लिया जा सकता है।

कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में हुई बैठक में शाह ने बीजेपी के प्रमुख नेताओं के साथ जिन सीटों पर चुनौती ज्यादा है, उन सीटों पर हर हाल में चुनाव जीतने के लिए सुझाव देने के लिए कहा है। वो एक-एक करके सभी नेताओं से सवाल- जवाब किए।

छत्तीसगढ़ बीजेपी के 12 प्रमुख नेताओं के साथ गृहमंत्री अमित शाह ने बंद कमरे में हाई लेवल मैराथन बैठक ली। इस दौरान बूथ प्रबंधन पर भी मंथन किया गया। विधानसभा सीटों जहां पर बीजेपी कमजोर वहां पर ज्यादा फोकस करने पर बल दिया गया। साथ ही जहां से जीतने की उम्मीद है, वहां पर अच्छे चेहरों को टिकट दिया जा सकता है। शाह इसे लेकर नेताओं से सुझाव भी लिए और अंत में इन सीटों को जीतने के लिए टिप्स भी दिए। बीजेपी में 75 से 80 प्लस के नेताओं को इस बार पार्टी बाहर का रास्ता भी दिखा सकती है। ऐसे लोगों का टिकट कट भी सकता है। शाह के प्रवास के दौरान पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर उनसे मिलने गए थे। इस दौरान गेट पर ही उन्हें रोक दिया गया। कहा गया कि उनका मिलने वालों के लिस्ट में नाम ही नहीं है। ऐसे में इस बुजुर्ग नेता को बैरंग वापस लौटना पड़ा। इसके लेकर प्रदेश की सियासत गरमाई रही। कुछ सीनियर नेताओं को पार्टी मार्गदर्शक की भूमिका में भी रख सकती है।

दूसरी ओर पिछली बार 5 जुलाई को शाह जब रायपुर में आए थे। उस दौरान पार्टी के प्रमुख नेताओं को कुछ टास्ट दिए थे। ऐसे नेताओं से फीडबैक ली गई। इसके बाद इस पर समीक्षा भी की गई। बीजेपी कार्यालय डूमरतराई में बंद कमरे में देर रात तक शाह की बैठक चली। इसमें प्रदेश प्रभारी और चुनाव प्रभारी ओम माथुर, सह प्रभारी मनसुख मंडाविया, प्रदेश सह प्रभारी नितिन नबीन, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल, संगठन महामंत्री पवन साय, प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल, पूर्व राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम, पूर्व स्पीकर धरमलाल कौशिक, महामंत्री ओपी चौधरी, केदार कश्यप और विजय शर्मा मौजूद रहे।

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