May 6, 2024

Suspense over CM : राजस्थान में 1 साल के लिए सीएम का पद क्यों मांग रहीं वसुंधरा राजे? जानें

जयपुर। राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अंदर मचा सियासी घमासान जारी है. यहां बीजेपी कि मुश्किलें कम होती नहीं दिख रहीं. तीन दिन दिल्ली में पार्टी के आला अधिकारियों से मुलाकात के बाद भी पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बगावती तेवर कम होते नहीं दिख रहे हैं. इन तेवरों ने पार्टी आलाकमान की चिंताएं भी बढ़ा दी हैं. सूत्रों के अनुसार, अब इस मामले में खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को दखल देना पड़ा है.

सूत्रों की मानें तो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने रविवार रात वसुंधरा राजे को फोन किया. इस दौरान उन्होंने राजे को सलाह दी कि वह विधायकों के साथ अलग-अलग बैठकें न करें और सीएम के लिए नाम तय करने का फैसला पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर छोड़ दें.

विधानसभा स्पीकर बनने से किया इनकार

वहीं, सूत्रों का दावा है कि बातचीत के दौरान वसुंधरा राजे ने जेपी नड्डा से अनुरोध किया कि उन्हें एक साल के लिए सीएम बनाया जाए. एक साल बाद वह खुद सीएम का पद छोड़ देंगी. इसके बाद नेतृत्व ने उनसे कहा कि आप विधानसभा स्पीकर बन जाएं. सूत्रों का कहना है कि इस पर वसुंधरा राजे ने साफ इनकार कर दिया और कहा कि वह स्पीकर नहीं बनना चाहती हैं.

दिल्ली में भी नड्डा ने जताई थी नाराजगी

बता दें कि नतीजे आने के बाद से ही वसुंधरा राजे से विधायकों का मिलना जारी है. इसी से पार्टी आलाकमान नाराज है. सूत्रों के मुताबिक, कुछ दिनों पहले है जब वसुंधरा अपने बेटे दुष्यन्त के साथ दिल्ली में जेपी नड्डा से मिली थीं, उस दौरान भी इस तरह की बैठकों को लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आपत्ति जताई थी. इस तरह की भी जानकारी सामने आ रही है कि जो विधायक वसुंधरा से मिल रहे हैं उनसे कहा जा रहा है कि जब पर्यवेक्षक वहां मौजूद हों तो उनके सामने मुख्यमंत्री के तौर पर सबसे पसंदीदा नाम वसुंधरा का लिया जाए.

किन विधायकों ने रविवार को की थी मुलाकात

रविवार को वसुंधरा राजे से मुलाकात करने वालों में कोलायत से विधायक अंशुमन भाटी, डेगाना विधायक अजय सिंह किलक, शेरगढ़ सीट से विधायक बाबू सिंह राठौर, बिलाड़ा विधायक अर्जुनलाल गर्ग, पूर्व कैबिनेट मंत्री और डिग विधानसभा सीट से विधायक नटवर सिंह, कंवर लाल मीणा, कालीचरण सर्राफ, जसवंत यादव, प्रताप सिंह सिंघवी, बीजेपी नेता अशोक परनामी आदि के नाम शामिल हैं.

इसलिए तो एक साल का कार्यकाल नहीं मांग रहीं वसुंधरा?

वसुंधरा राजे को बीजेपी ने पिछले दो साल से किनारे कर रखा है. विधानसभा चुनाव के दौरान भी पार्टी ने वसुंधरा को दूर ही रखा. इस बार पार्टी ने यहां सीएम फेस का ऐलान भी नहीं किया था. राज्य में भारी बहुमत हासिल करने के बाद सीएम की रेस शुरू हुई. इसमें वसुंधरा भी शामिल हो गईं. बताया जाता है कि उन्होंने विधायकों को अपने घुर बुलाकर पार्टी के सामने एक तरह से दबाव डालने का भी प्रयास किया. इसे एक तरह से शक्ति प्रदर्शन कहा गया.

इसके बाद वसुंधरा ने कहा कि वह पार्टी के खिलाफ नहीं जाएंगी और दिल्ली जाकर पार्टी आलाकमान से मुलाकात की. तीन दिन बाद वह जयपुर लौटीं तो एक बार फिर उनके घर पर विधायकों का आना-जाना शुरू हो गया. बताया जा रहा है कि वसुंधरा राजे पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. सोमवार को जब जेपी नड्डा ने उन्हें कॉल करके विधायकों से मुलाकात न करने की सलाह दी तब भी उन्होंने 1 साल के लिए सीएम पद मांगा.

अब सवाल उठता है कि आखिर वसुंधरा एक साल के लिए सीएम पद क्यों मांग रही हैं. दरअसल, सीएम पद के लिए वसुंधरा राजे से ज्यादा मजबूत दावा दीया कुमारी और बाबा बालकनाथ का है. एक्सपर्ट मानते हैं कि अगर दीया कुमारी सीएम बनती हैं तो वसुंधरा राजे की राजनीति प्रदेश में लगभग खत्म हो जाएगी. क्योंकि वसुंधरा भी राजघराने से आती हैं, वह भी राजपूत हैं. पार्टी आलाकमान से उनके अच्छे संबंध हैं. यही वजह है कि फिलहाल वह एक साल का समय मांगकर दीया कुमारी और अन्य दावेदारों को रेस से बाहर करना चाहती हैं. एक साल में अपने पक्ष में माहौल बनाकर वह पार्टी पर आगे भी पद जारी रखने का दबाव बना सकती हैं.

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