May 8, 2024

चुनाव से ठीक पहले सतपुड़ा भवन में लगी आग की आंच क्या पहुंच रही है शिवराज सरकार तक?

भोपाल। 12 जून की शाम करीब 3.30 बजे, भोपाल के दूसरे सबसे बड़े सरकारी दफ्तर सतपुड़ा भवन में आग लग गई. शॉट सर्किट की वजह से आग तीसरी मंजिल से शुरू हुई और छठी मंजिल तक पहुंच गई. इस भीषण आग को मंगलवार दोपहर 12 बजे बुझाया गया. अब पूरे 10 घंटे बाद सतपुड़ा भवन में लगी आग तो बुझ गई है लेकिन इसने मध्यप्रदेश सरकार और राज्य के सीएम शिवराज सिंह चौहान को कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया है.
दरअसल इस आग ने 13 हजार से ज्यादा सरकारी फाइलों को राख में बदल दिया है जिसके कारण राज्य की सियासत में गर्मा गई है.
दूसरी तरफ राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी इस घटना के बाद भोपाल के कलेक्टर आशीष सिंह, कमिश्नर मालसिंह भयड़िया और नगर निगम को नोटिस भेजे हैं. नोटिस में आयोग ने आग लगने की घटना पर तीन सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है. आयोग ने सवाल उठाया है कि निगम की फायर ब्रिगेड में 80 फीसदी दमकलकर्मी होने के बाद भी इस आग को बुझाने में पूरे 10 घंटे क्यों लग गए?
पहले जानते हैं किस फ्लोर पर आग लगी और वहां कौन से दफ्तर हैं
इस भवन में सबसे पहले तीसरी मंजिल पर आग लगी. सतपुड़ा भवन के तीसरे मंजिल पर अनुसूचित जनजाति क्षेत्रीय विकास योजना का दफ्तर है. आग तीसरी मंजिल से फैलकर चौथे, पांचवें और छठे फ्लोर तक पहुंच गई. इन तीनों ही मंजिल पर स्वास्थ्य विभाग के दफ्तर हैं.

सतपुड़ा भवन में लगी आग की आंच पहुंची शिवराज सरकार तक
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में पांच महीने से भी कम समय बचा हुआ है. ऐसे में सरकारी कार्यालय में लगी आग को बुझाने में 10 घंटे का समय लगना चुनावी इवेंट मोड में चल रही सरकार की पोल खोल कर रख दी है. इस आग को बुझाने के लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली से भी मदद की गुहार लगाई थी.
शिवराज सिंह मध्य प्रदेश में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड बना चुके. उन्हें सबसे अनुभवी राजनेता भी माना जाता है. ऐसे में एक इमारत में लगी आग बुझाने में इतना समय लगना यह साफ दिखाता है कि बड़े हादसों से निपटने में राज्य सरकार की मशीनरी सक्षम ही नहीं है.


क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार
वरिष्ठ पत्रकार, नितिन दुबे: सवाल यह है कि चुनाव से पहले ही आग क्यों लगती है? जिन विभागों के फाइल जले हैं, उन सभी में भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे हैं. स्वास्थ्य विभाग तो इसमें प्रमुख है. ऐसे में विपक्ष का यह दावा मजबूत हो जाता है कि सरकार भ्रष्टाचार की फाइल जला रही है.
वरिष्ठ पत्रकार, राजेश पांडेय: हालांकि वरिष्ठ पत्रकार राजेश पांडेय का मानना बिल्कुल अलग है. उन्होंने एबीपी से बातचीत में कहा कि मुझे नहीं लगता कि इस घटना का आने वाले विधानसभा चुनाव में कोई खास असर पड़ेगा. हां ये जरूर है कि सरकार के पास जो आग बुझाने का सिस्टम है उसकी कमजोरी को लेकर सवाल उठेंगे लेकिन चुनाव को ज्यादा प्रभावित नहीं कर पाएगा.

दिसंबर 2018 और साल 2013 में भी लग चुकी है आग
बता दें कि इससे पहले 14 दिसंबर 2018 को विधानसभा चुनाव से ठीक बाद इसी सतपुड़ा भवन में आग लगी थी. उस वक्त इसी आग से बड़ी संख्या में संवेदनशील और गोपनीय दस्तावेज को जलाकर राख कर दिया था. इससे पहले साल 2013 में विधानसभा चुनाव के पहले भी इसी भवन की तीसरी मंजिल पर आग की लपटों ने फाइलें जला दी थीं. अब एक बार फिर विधानसभा चुनाव के लगभग चार महीने पहले यहां आग लगी है. यही कारण है कि सूबे का विपक्ष दल बीजेपी लगातार हमला बोल रहा है.

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