April 25, 2024

CG – ‘राम भरोसे’ प्राथमिक शालाएं : 11 हजार शिक्षकों की कमी से जूझ रहा यह संभाग, देखें इन जिलों में….

रायपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद की वजह से काफी पिछड़ा हुआ क्षेत्र कहे जाने वाला बस्तर शिक्षा के क्षेत्र में भी काफी पिछड़ रहा है. स्कूली शिक्षा हो या उच्च शिक्षा दोनों में ही पिछले कई सालों से शिक्षकों की कमी बनी हुई है. सबसे बुरा हाल बस्तर संभाग के प्राथमिक शालाओं का है जहां एक स्कूल के केवल एक ही शिक्षक नियुक्त हैं . वहीं मिडिल और हाई स्कूलों में भी बीते लंबे समय से शिक्षकों की कमी बनी हुई है .

शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक पूरे बस्तर संभाग में 11 हजार से ज्यादा शिक्षकों की कमी बनी हुई है, जिसमें सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा और नारायणपुर (Sukma, Bijapur, Dantewada, Narayanpur) में कई प्राथमिक शालाएं बिना शिक्षकों के भगवान भरोसे चल रही हैं. यही वजह है कि हर साल बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए बस्तर पिछड़ रहा है और शिक्षकों की कमी पूरी करने के लिए सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है.

बस्तर में नक्सलवाद की वजह से बंद स्कूलों को दोबारा खोला गया और यहां पढ़ाई भी शुरू की गई, लेकिन शिक्षकों की पूर्ति आज तक नहीं हो पाई है. वहीं कुछ ही महीने बाद नया सत्र शुरू होने को है. ऐसे में इस साल भी रिक्त पदों पर शिक्षकों की भर्ती नहीं होने की वजह से स्कूली बच्चों की शिक्षा प्रभावित होने की पूरी संभावना बनी हुई है. खुद बस्तर संभाग के शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक आर.पी आदित्य का कहना है कि पूरे बस्तर संभाग में 11 हजार से ज्यादा शिक्षकों की कमी है. इनमें प्राथमिक शाला से लेकर मिडिल स्कूल और हाई स्कूलों में भी शिक्षकों के पोस्ट खाली हैं.

हालांकि इसके लिए शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारियों को भी पत्र लिखा जा चुका है. साथ ही शिक्षकों की कमी से हो रही समस्या से भी अवगत कराया जा चुका है, लेकिन अब तक शिक्षकों की भर्ती को लेकर कोई आदेश जारी नहीं हुआ है.

संयुक्त संचालक ने आगे कहा कि, खासकर सुकमा, बीजापुर नारायणपुर जिले के नक्सल प्रभावित इलाकों में कई ऐसे स्कूल हैं जहां पांचवी तक के बच्चों के लिए एक मात्र शिक्षक हैं. इसके अलावा मिडिल स्कूलों के लिए भी दो से 3 शिक्षक हैं. नक्सल प्रभावित इलाकों के साथ-साथ बस्तर जिले में भी यह समस्या बनी हुई है. हालांकि शिक्षा विभाग के द्वारा कोशिश की जा रही है कि किसी भी बच्चे की पढ़ाई प्रभावित ना हो, लेकिन शिक्षकों के कमी की वजह से विभाग को भी दिक्कतों का सामना जरूर करना पड़ रहा है और कई इलाकों में बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है.

कॉलेजों में भी बनी हुई है प्रोफेसरों की कमी
इधर सिर्फ स्कूली शिक्षा में ही नहीं बल्कि उच्च शिक्षा में भी प्रोफेसरों की कमी बस्तर संभाग में लंबे समय से बनी हुई है. कई विषयों के प्रोफेसरों की नियुक्ति अब तक नहीं हो पाई है. कॉलेज के छात्रों द्वारा कई बार मांग करने के बावजूद विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से आश्वासन तो मिलता है, लेकिन नियुक्ति नहीं की जाती है. फिलहाल विश्वविद्यालय प्रबंधन का कहना है कि नए सत्र से कोशिश की जा रही है कि बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर के महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय के साथ जिलों में मौजूद विश्वविद्यालय के अधीन सभी कॉलेजों में रिक्त पड़े पदों पर प्रोफेसरों की जल्द से जल्द भर्ती की जाए.

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