May 3, 2024

सड़क हादसों में मर गए 1.68 लाख लोग : ओवर स्पीडिंग, बाइक वालों की लापरवाही; सबसे खराब 10 शहरों में रायपुर भी शामिल, दहला रही है यह रिपोर्ट

नई दिल्ली। अगर आप टू वीलर चलाते हैं तो कृपया एक आग्रह मान लीजिए- यातायात नियमों का पालन कीजिए और सड़क पर बिल्कुल सतर्क रहिए। खासकर टू वीलर चालकों से यह गुजारिश इसलिए है क्योंकि पिछले वर्ष सड़क हादसों की आई रिपोर्ट से साफ पता चलता है कि सिर्फ दोपहिया वाहन चालकों की गलती से 25% हादसे हुए। इतना ही नहीं, इन सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए लोगों में अकेले 44% टू वीलर चालक थे। दोपहिया वाहन चालकों से अनुरोध का एक और खास मकसद यह है कि उनके पास हेलमेट के सिवा सुरक्षा का कोई और साधन नहीं होता है। इसलिए जरूरी है कि वो ज्यादा सतर्क रहें।महानगरों में केवल दिल्ली, बेंगलुरू और चेन्नई ही सबसे खराब 10 शहरों में हैं। मुंबई 14वें और कोलकाता 38वें स्थान पर रहा। यातायात प्रबंधन और नियमों को लागू करने में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कानपुर, इलाहाबाद, लखनऊ, इंदौर, जयपुर और रायपुर जैसे शहरों को सबसे खराब 10 शहरों की सूची में शामिल किया गया है।

आंकड़े बताते हैं कि पिछले वर्ष 2022 में देश की सड़कों पर होने वाली हर 10 में से सात मौतों का कारण तेज रफ्तार थी। बहुत दुखद खबर है कि विभिन्न कारणों से हुई सड़क दुर्घटनाओं में पिछले वर्ष रिकॉर्ड 1,68,491 मौतें हुईं जबकि 4.4 लाख लोग घायल हो गए। इनमें दो लाख के करीब लोग गंभीर रूप से घायल हुए। विभिन्न यातायात नियमों के उल्लंघनों के कारण हुई मौतों के लिहाज से गलत साइड से ड्राइविंग दूसरे नंबर पर रहा। वहीं, हेलमेट और सीट बेल्ट जैसे निर्धारित सुरक्षा उपकरणों का उपयोग न करने के कारण लगभग 67 हजार लोगों की जानें गईं।

50,000 लोग इसलिए मर गए क्योंकि हेलमेट नहीं पहने थे!

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के जारी वार्षिक आंकड़ों से पता चला है कि 50 हजार से ज्यादा दोपहिया वाहन सवारों की हादसे में इसिलए मृत्यु हो गई क्योंकि उन्होंने हेलमेट नहीं पहना था। इनसे दोगुने लोग घायल हुए थे। इसी तरह, कारों में सीट बेल्ट न पहनने से 16,715 मौतें हुईं जबकि 42,300 लोगों को चोटें आईं। स्वास्थ्य और सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ अक्सर कहते हैं कि हेलमेट ‘सिर की चोटों के लिए वैक्सीन’ के समान है।

वैश्विक मौतों में लगभग 11% की हिस्सेदारी के साथ भारत को सड़क पर सबसे ज्यादा मौतों का देश होने का बदनुमा दाग लगा है। हालांकि हमारे देश की 2% से भी कम आबादी के पास वाहन होने का अनुमान लगाया गया था, जिसमें गैर-मोटर चालित वाहन शामिल नहीं हैं। पिछले पांच वर्षों में सड़क पर होने वाली मौतों के मुख्य कारण के रूप में तेज गति की हिस्सेदारी 2018 में 64% से बढ़कर 2022 में 71% हो गई है। जब सरकार हाई क्वॉलिटी सड़कें बना रही हैं, फिर भी इतनी मौतों हो रही हैं। इससे साफ संकेत मिलता है कि लोग नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। इसलिए तत्काल नियमों को कठरोता से पालन करवाने की जरूरत है।

मौतों के मामले में दिल्ली फिर टॉप

दिल्ली सड़क मौतों के मामले में भारत की राजधानी के रूप में कुख्यात हो गई है। यहां 2022 में लगभग 1,500 मौतें दर्ज की गईं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 18% अधिक है और दूसरे स्थान पर मौजूद बेंगलुरु (772) से दोगुनी है, जो एक स्थान ऊपर चला गया है। चेन्नई ने मृत्यु दर में उल्लेखनीय 49% की गिरावट दर्ज की जबकि मुंबई में 4% की कमी दर्ज की गई।

2022 में भारतीय सड़कों पर होने वाली लगभग 1.7 लाख मौतों में से 44% मौतें दोपहिया वाहनों से हुईं। मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों से यह भी पता चला कि सभी दुर्घटनाओं में होने वाली कुल मौतों में से लगभग एक-चौथाई के लिए दोपहिया वाहन जिम्मेदार थे। पैदल चलने वालों की लगभग 28% मौतें दोपहिया वाहनों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं के कारण हुईं।

2022 में रिकॉर्ड संख्या में हुई बाइक सवारों की मौत
2022 में दोपहिया वाहनों से होने वाली मौतें लगभग 8% बढ़क 75 हजार के करीब पहुंच गईं, जो भारतीय सड़कों पर होने वाली 1,68,491 मौतों का 44% है। वर्ष के दौरान 32,825 पैदल यात्रियों की मौतों के मद्देनजर सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों ने सड़क उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए तत्काल समाधान खोजने का आह्वान किया है।

जारी आधिकारिक आंकड़ों से यह भी पता चला कि सभी दुर्घटनाओं में होने वाली कुल मौतों में से लगभग एक-चौथाई के लिए दोपहिया वाहन जिम्मेदार थे। जबकि दोपहिया वाहनों के चालक खुद भी ज्यादा असुरक्षित होते हैं, फिर भी उनकी लापरवाही का आलम देखिए कि पैदल चलने वाले सबसे ज्यादा लोग (9,316) उन्हीं की वजह से मारे गए जो हादसे में पैदल यात्रियों की कुल मौतों का 28% है।

इसी तरह, 27,615 टू वीलर सवारों की मौत दूसरे टू वीलर्स के साथ हादसे के कारण हुई। सरकारी रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल मिलाकर, 47,171 मौतें दोपहिया वाहन चालकों की गलती के कारण हुईं। आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि पिछले साल कम से कम 1.2 लाख पैदल यात्रियों और दोपहिया वाहन चालकों को गंभीर चोटें आईं। परिवहन सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ अनिल छिकारा ने कहा, ‘सरकारी आंकड़ा पीड़ितों और उनके परिवारों पर चोटों के प्रभाव को शामिल नहीं करता है। हमें गंभीर रूप से घायलों की संख्या पर भी ध्यान देने की जरूरत है।’

दोपहिया वाहन चालकों की मौत का राज्यवार आंकड़ा

राज्यवार आंकड़ों पर रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल तमिलनाडु में सबसे अधिक 11,140 दोपहिया वाहन चालकों की मौत हुई, इसके बाद महाराष्ट्र (7,733) और उत्तर प्रदेश (6,959) का स्थान रहा। पैदल यात्रियों की मौत के मामले में तमिलनाडु में 4,427 मौतें दर्ज की गईं, इसके बाद बिहार (3,345) और पश्चिम बंगाल (2,938) का नंबर आता है। जबकि दोपहिया वाहन निजी परिवहन का सबसे सस्ता साधन रहे हैं। इनमें दुर्घटना की स्थिति में सवारों के लिए शायद ही कोई बाहरी सुरक्षा होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि दोपहिया वाहनों से होने वाली दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने का एकमात्र विकल्प उन्हें अन्य यातायात से अलग करना है।

सड़क सुरक्षा की वकालत करने वाले कन्ज्यूमर वॉयस के सीईओ आशिम सान्याल ने कहा, ‘रिपोर्ट की मुख्य बात खराब सड़क उपयोगकर्ताओं की मौतों की बढ़ती संख्या है। किसी भी राज्य ने सड़कों पर जीवन बचाने के लिए कोई खास कदम नहीं उठाया है। यह सभी संबंधित लोगों के लिए आत्मनिरीक्षण का समय है कि 2030 तक सड़क पर होने वाली मौतों में 50% की कमी कैसे हासिल की जाए।’

दिल्ली सबसे हत्यारी शहर, चेन्नई में मौतें 49% कम

दिल्ली की कुख्यात ‘हत्यारी सड़कों’ ने 2022 में लगभग 1,500 लोगों की जान ले ली, जो पिछले वर्ष की तुलना में 18% अधिक है और दूसरे स्थान पर रहने वाले बेंगलुरु की तुलना में दोगुना है, जो एक स्थान ऊपर चला गया है, जैसा कि नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है। गार्डन सिटी, जहां पिछले साल 772 सड़क मौतें हुईं, ने चेन्नई की जगह ले ली, जिसने सड़क दुर्घटनाओं में 31% की गिरावट के साथ-साथ मौतों में 49% की सराहनीय गिरावट दर्ज की। हालांकि मुंबई में दुर्घटनाओं की संख्या 15% गिरकर 1,895 हो गई, लेकिन मौतों में गिरावट 4% थी।

महानगरों में केवल दिल्ली, बेंगलुरू और चेन्नई ही सबसे खराब 10 शहरों में हैं। मुंबई 14वें और कोलकाता 38वें स्थान पर रहा। यातायात प्रबंधन और नियमों को लागू करने में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कानपुर, इलाहाबाद, लखनऊ, इंदौर, जयपुर और रायपुर जैसे शहरों को सबसे खराब 10 शहरों की सूची में शामिल किया गया है।

पिछले पांच वर्षों के दौरान, दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में से 41% मौतें सबसे खराब 10 शहरों में हुई हैं। कुल मिलाकर, 50 बड़े शहरों में सड़कों पर 17,089 लोग मारे गए और 69 हजार अन्य घायल हो गए। 2022 में 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में दुर्घटनाएं 14% बढ़ गईं, जो राष्ट्रीय औसत 12% से थोड़ा अधिक है। मौतों के मामले में इन शहरों में 11% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि राष्ट्रीय औसत वृद्धि 9% थी। सड़क पर होने वाली मौतों के कारण काफी हद तक राष्ट्रीय प्रवृत्ति के अनुरूप हैं। जब वाहन के प्रकार की बात आती है, तो इन शहरों में दोपहिया वाहनों की हिस्सेदारी 44% आंकी गई है, जिनमें दो-तिहाई दुर्घटनाओं और मौतों का कारण तेज गति है।

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