May 2, 2024

साजा विधानसभा : रविंद्र चौबे ने पेश की दावेदारी; जहाँ भाजपा की राह हमेशा रही कठिन

बेमेतरा। छत्तीसगढ़ के पंचायत एवं ग्रामीण पशुपालन शिक्षा मंत्री रविंद्र चौबे ने साजा विधानसभा क्षेत्र से अपने दावेदारी पेश की है। सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ वे साजा के ब्लॉक कांग्रेस कमेटी कार्यालय पहुंचे। यहां पर उन्होंने ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष संतोष वर्मा को आवेदन देकर उनके सामने अपनी दावेदारी पेश की थी।

मीडिया से चर्चा करते हुए रविंद्र चौबे ने बताया कि 8 बार साजा की जनता ने उन्हें जीत का आशीर्वाद दिया है और उन्हीं के आशीर्वाद से वो 9वीं बार अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। जनता इस बार उन्हें फिर से आशीर्वाद देगी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की सरकार ने किसानों के लिए बहुत काम किया है। उन्होंने कहा कि इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 75 पार का लक्ष्य लेकर जाएगी और जनता उन्हें जरूर आशीर्वाद देगी।

साजा विधानसभा सीट 1967 में अस्तित्व में आया। उस समय साजा, वीरेन्द्रनगर, रेंगाखार, सिल्हाटी सहित सहसपुर लोहारा तक फैला हुआ था। प्रथम विधायक रामराज परिषद के थानखम्हरिया निवासी मालूराम सिंघानिया ने कांग्रेस के देवी प्रसाद चौबे को लगभग 1700 मतों से पराजित कर दिया था। 1972 में हुए चुनाव में कांग्रेस के पंडित देवी प्रसाद चौबे ने रामराज परिषद को हराकर इस पर कब्जा किया। इसके बाद से ये क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा और इस पर चौबे परिवार का ही कब्जा रहा।

14 अगस्त 1976 को पंडित देवी प्रसाद के अचानक निधन होने के बाद कांग्रेस ने यहां से खैरागढ़ राजपरिवार के लाल ज्ञानेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया। जिसके बाद प्रदीप चौबे ने जनता पार्टी से चुनाव लड़कर कांग्रेस प्रत्याशी को हराया और विधानसभा में पहुंचे।

इसके बाद परिसीमन करते हुए साजा और बेरला ब्लॉक के गावों को शामिल कर साजा विधानसभा बनाया गया। प्रदीप चौबे की राजनीति में ज्यादा दिलचस्पी नहीं देख उनकी मां कुमारी देवी चौबे 1980 में कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा पहुंचीं। इसके बाद 1985 से लेकर 2013 तक लगातार 6 बार विधानसभा में साजा का प्रतिनिधित्व पंडित देवी प्रसाद चौबे के बेटे रविन्द्र चौबे ने किया, जो मध्यप्रदेश शासन में उच्च शिक्षा, स्कूली शिक्षा, नगरीय प्रशासन और संसदीय कार्य मंत्री रहे।

वहीं छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद रविंद्र चौबे लोक निर्माण मंत्री रहे। 2008 में फिर से हुए परिसीमन के बाद दुर्ग जिले के धमधा विधानसभा को विलोपित करते हुए साजा-धमधा विधानसभा का गठन किया गया। रविंद्र चौबे 2008 में लाभचंद बाफना को हराकर विधानसभा पहुंचे। वे छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं, लेकिन 2013 के चुनाव में लाभचंद बाफना ने कांग्रेस के किले को ढहाते हुए 7 बार के विधायक रविंद्र चौबे को हराकर विधानसभा पहुंचे। 2018 में हुए चुनाव में रविंद्र चौबे ने संसदीय सचिव लाभचंद बाफना को बड़े अंतरों से हराते हुए फिर से इस सीट पर कब्जा किया और वर्तमान में छत्तीसगढ़ शासन में पंचायत एवं ग्रामीण पशुपालन व शिक्षा मंत्री हैं।

साजा विधानसभा साजा और धमधा विकासखंड से बना है। इसमें 285 पोलिंग बूथ हैं और इसमें साजा ब्लॉक के साथ ही दुर्ग जिले के धमधा ब्लॉक के गांव आते हैं। इसमें साजा विकासखंड के 97 ग्राम पंचायत के 186 गांव, धमधा ब्लॉक के 30 ग्राम पंचायत के 40 गांव शामिल हैं। यह विधानसभा प्राकृतिक दृष्टि से संसाधनों से भरा है। यह विधानसभा अपने गौण खनिज के लिए जाना जाता है। यहां पर रेत और डोलोमाइट पत्थर प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं। यह विधानसभा लाल सोने के नाम से मशहूर टमाटर की खेती के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां का टमाटर देश ही नहीं बल्कि विदेशो में भी सप्लाई किया जाता है।

इस विधानसभा क्षेत्र की जनसंख्या 2 लाख 28 हजार 194 है। इस विधानसभा में लोधी और साहू जाति के सबसे ज्यादा लोग रहते हैं। बाकी सभी जाति के मतदाता है, लेकिन कभी इस विधानसभा में जाति का असर नहीं दिखता है। इस सीट से सामान्य वर्ग के प्रत्याशी विजयी रहे हैं, कभी पिछड़ा वर्ग से विधायक नहीं बने हैं।

इस विधानसभा क्रमांक- 68 में कुल 1 लाख 53 हजार 397 मतदाता हैं। इनमें से पुरुष 77,546 और महिला 75,851 हैं। रही बात युवा मतदाताओं की, तो पूरे विधानसभा में 33 प्रतिशत युवा मतदाता हैं।

यह विधानसभा क्षेत्र राजनांदगांव, रायपुर, कवर्धा और दुर्ग जिले की सीमाओं से जुड़ा हुआ है। विधानसभा के बीच से शिवनाथ नदी बहती है। उसके बाद भी सिंचाई की सुविधा नहीं है। यहां के टमाटर की मांग विदेशों तक है। चना और सोयाबीन की खेती में भी अलग पहचान है। यह क्षेत्र आधुनिक खेती के लिए जाना जाता है, लेकिन उनके उत्पाद को बेचने के लिए न कोई बाजार है और न खेती आधारित कोई फैक्ट्री है। मध्यप्रदेश से अवैध शराब यहां खपाई जा रही है। जिला बनने के बाद भी अपने कामों को लेकर भटकना पड़ रहा है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं की आपसी गुटबाजी और अवैध उत्खनन यहां प्रमुख मुद्दे हो सकते हैं।

वैसे तो इस विधानसभा में अब तक सीधी टक्कर कांग्रेस और भाजपा की होती आई है। कोई तीसरी पार्टी अभी तक साजा-धमधा विधानसभा में नजर नहीं आ रही है। इस बार भी सीधी टक्कर भाजपा-कांग्रेस के बीच ही होगा। कांग्रेस की ओर से एकमात्र नाम रविंद्र चौबे है। हालांकि इस बार रविंद्र चौबे के बेटे अविनाश चौबे राजनीति में ज्यादा सक्रिय नजर आ रहे हैं, तो वे भी कांग्रेस से प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। भाजपा की ओर से विधायक लाभचंद बाफना प्रबल दावेदार हैं।

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