April 30, 2024

श्रमिक एक्‍सप्रेस में डिलीवरी के बाद बच्‍ची की हुई मौत, 14 घंटे तक शव को सीने से चिपकाए रही मां

दुर्ग। लॉकडाउन के बीच घर जाने की जद्दोजहद ने एक मां से उसकी बच्‍ची हमेशा के लिए छीन ली. जी हां, यह घटना दिल्‍ली  से दुर्ग जा रही श्रमिक एक्‍सप्रेस  की है।  इस ट्रेन में दिल्‍ली-एनसीआर से पलायन कर रहे हजारों मजदूरों के साथ सीमा का परिवार भी सफर कर रहा था।  सीमा नौ माह की गर्भवती थीं।  ट्रेन का सफर अभी शुरू ही हुआ था कि सीमा को लेबर पेन होना शुरू हो गया।  ट्रेन में मौजूद, महिला मजदूरों ने किसी तरह सीमा की डिलीवरी करवाई। 

सीमा ने बेहद खूबसूरत एक बच्‍ची को जन्‍म दिया।  एक घंटे तक सबकुछ ठीक रहा, लेकिन उसके बाद अचानक बच्‍ची की सांस उखड़ी और वह हमेशा के लिए दुनिया से रुखसत हो गई।  सीमा के लिए उसकी बेटी का जाना किसी वज्रपात की तरह था. बेटी की मौत से लगभग टूट चुकी सीमा की हालत कुछ ऐसी हो चुकी थी कि वह खुद से बेटी के शव को अलग करने को राजी नहीं थी।  लोगों ने लाख समझाने के बाद भी वह अपनी बच्‍ची को खुद से अलग नहीं कर रही थी।  सीमा किसी भी सूरत में यह मानने के लिए तैयार नहीं थी कि उसकी बेटी अब इस दुनिया में नहीं है। 

ट्रेन में सफर कर रहे यात्रियों की मानें तो सीमा लगातार 14 घंटे तक अपनी बेटी को सीने से चिपकाए रही।  बीच-बीच में वह बच्‍ची के चेहरे को थोड़ी देर के लिए निहारती और फिर बच्‍ची को अपने सीने से चिपका लेती।  यह सिलसिला तब तक जारी रहा, जब तक ट्रेन दुर्ग नहीं पहुंच गई।  दुर्ग पहुंचने के बाद, जब इस घटना की जानकारी रेल और स्‍थानीय प्रशासन को लगी तो उन्‍होंने तत्‍काल इस परिवार के लिए एक वाहन की व्‍यवस्‍था की और उन्‍हें दुर्ग से बेमेतरा जिले के नवागढ़ के लिए रवाना कर दिया गया। 

ट्रेन में डिलीवरी की एक अन्‍य घटना छत्‍तीसगढ़ के बिलासपुर से भी सामने आई है. दरअसल, श्रमिक स्‍पेशल ट्रेन में सफर कर रहे राजेंद्र यादव की गर्भवती पत्‍नी को अचानक लेबर पेन शुरू हो गया. ट्रेन में मौजूद महिलाओं की मदद से ईश्‍वरी की डिलीवरी कराई गई. ईश्‍वरी ने रात करीब दो बजे एक बच्‍ची को जन्‍म दिया. बिलासपुर पहुंचने के बाद मां और बच्‍ची को स्‍थानीय प्रशासन ने सिम्‍स में भर्ती कराया है, जहां दोनों स्थिति सामान्‍य बताई गई है। 

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