February 14, 2025

बिहार की तरह ‘ड्राई स्टेट’ हो सकता है मध्यप्रदेश! CM ने 17 शहरों में बैन के बाद कहा- पूर्ण शराबबंदी की ओर बढ़े

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महेश्वर। आने वाले वक्त में मध्यप्रदेश में भी बिहार की तरह पूर्ण शराबबंदी हो सकती है. ऐसे संकेत खुद मुख्यमंत्री ने महेश्वर में आयोजित डेस्टिनेशन कैबिनेट की बैठक के बाद दिए. मुख्यमंत्री ने कहा- हम कोशिश कर रहे हैं कि धीरे-धीरे राज्य पूर्ण शराबबंदी की तरफ बढ़े. इससे पहले कैबिनेट की बैठक में नई आबकारी नीति पर मुहर लगा दी गई. इसके तहत राज्य के 17 धार्मिक शहरों में फाइनल शराबबंदी का ऐलान कर दिया गया. जिसके मुताबिक 1 अप्रैल से उज्जैन और ओरछा समेत राज्य के 17 शहरों में शराब की दुकानें बंद हो जाएंगी. बैठक में फैसला लिया गया कि इन शराब की दुकानों को कहीं और शिफ्ट भी नहीं किया जाएगा. जिन जगहों पर शराबबंदी लागू होगी उसकी सूची नीचे है.

मुख्यमंत्री ने साफ किया कि सरकार शराबबंदी की ओर कदम बढ़ा रही है. इसी के तहत पहले चरण में 17 धार्मिक शहरों में शराबबंदी लागू की गई है. इनमें नगर पालिका, नगर परिषद और नगर पंचायत क्षेत्रों में शराब की दुकानें बंद कर दी जाएंगी, और इन दुकानों को दूसरी जगह शिफ्ट भी नहीं किया जाएगा.

इन 17 धार्मिक नगरों में एक नगर निगम, 6 नगर पालिका, 6 नगर परिषद और 6 ग्राम पंचायतें शामिल हैं. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि मां नर्मदा के दोनों तटों के पांच किलोमीटर में शराबबंदी की नीति फिलहाल यथावत जारी रहेगी. इस पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं आएगा.

उधर 17 धार्मिक नगरों में राज्य सरकार के शराबबंदी के फैसले पर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने कहा कि इन शहरों में जुआ, सट्‌टा और स्मैक पर भी प्रतिबंध लगना चाहिए. उन्होंने इस कदम को महज दिखावा करार दिया. इससे पहले कैबिनेट की बैठक के पहले डॉक्टर मोहन यादव मंत्रिमंडल के सदस्यों ने लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की राजगद्दी के दर्शन कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए. इसके बाद नर्मदा के घाट पहुंचकर पूजा अर्चना की गई.

बिहार में 2016 से लागू है शराबबंदी
बता दें कि बिहार में साल 2016 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी लागू की थी. माना जाता है कि महिलाओं की मांग पर ये फैसला लिया गया था. अभी हाल ही में वहां के मद्य निषेध मंत्री रत्नेश सदा ने बयान दिया था कि अब बड़े शराब माफियाओं पर अब अपराध नियंत्रण अधिनियम (CCA) के तहत कार्रवाई की जाएगी। उनकी संपत्ति की जांच होगी और उसे जब्त भी किया जा सकता है. हालांकि बिहार में शराबबंदी की एक तबका आलोचना भी करता है क्योंकि राज्य में जहरीली शराब की वजह से कई मौतें भी हुई हैं. पिछले चुनाव में तो कुछ राजनीतिक दलों ने अपनी सरकार बनने पर शराबबंदी को खत्म करने का भी ऐलान किया था.

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